________________ विषयों को सरल करने का प्रयास किया। इस टिप्पण को 'हरिभद्रीय आवश्यकवृत्ति-टिप्पण' और 'आवश्यक वृत्ति प्रदेश व्याख्या' (टिप्पण) -इन नामों से भी जाना जाता है। यह 4600 श्लोकप्रमाण है। कोट्याचार्य (वि. 8 वीं शती) ने विशेषावश्यक भाष्य पर (स्वोपज्ञवृत्ति को पूर्ण करने के अलावा) विवरण लिखा है, जो न अतिसंक्षिप्त है और न ही अतिविस्तृत / यद्यपि यह संस्कृत में है, किन्तु यत्र-तत्र कथाएं प्राकृत में दी गई हैं। इसका परिमाण 13700 श्लोक माना जाता है। इनके अतिरिक्त भी, अन्य आचार्यों ने आवश्यक सूत्र पर टीकाएं लिखी हैं जिनमें नमि साधु (वि. 12 वीं शती), श्री तिलकसूरी (12 वीं शती), श्री चंद्रसूरि (वि. 13 वीं शती), ज्ञानसागर (वि. सं. 1440), श्रीधरसुन्दर (वि. सं. 1500), शुभवर्द्धन गणि (वि. सं. 1540) तथा हितरुचि (वि. सं. 1697) की टीकाएं उल्लेखनीय हैं। आवश्यक, नियुक्ति, भाष्य आदि के प्रमुख उल्लेखनीय प्रकाशन : आवश्यक सूत्र के मूलपाठ तो अनेक जगह से प्रकाशित हुए हैं। जैसे- (1) मुनि पुफ्फभिक्खु संपादित 'सुत्तागमे' के अंतर्गत हुआ प्रकाशन, (2) सैलाना से 1984 ई. में प्रकाशित 'अंगप्रविष्ट सूत्र' के अन्तर्गत प्रकाशन, (3) आगम प्रभावक मुनि पुण्यविजय जी म. के निर्देशन में श्री महावीर जैन विद्यालय, बम्बई द्वारा जैन आगम ग्रन्थमाला के अन्तर्गत ई. 1977 में (कुछ अन्य आगमों के साथ) प्रकाशित। .. आवश्यक सूत्र (सानुवाद) तथा उस पर आधारित चूर्णि, नियुक्ति, (विशेषावश्यक) भाष्य व टीकाओं के अनेक प्रकाशन हुए हैं, जिनमें विशेष उल्लेखनीय निम्नलिखित हैं (1) आवश्यक सूत्रः गुजराती अनुवाद संहित, भीमसी माणेक, बम्बई द्वारा 1906 ई. में प्रकाशित। (2) आवश्यक सूत्रः आ. अमोलकऋषि जी म. कृत हिन्दी अनुवाद आदि के साथ, वीर सं. 2446 में प्रकाशित। (3) आवश्यक सूत्रः पू. श्री घासीलाल जी म. कृत संस्कृत व्याख्या, हिन्दी व गुजराती अनुवाद के साथ, जैन शास्त्रोद्वार समिति, राजकोट द्वारा ई. 1958 में प्रकाशित। (4) आवश्यक सूत्र, महासती सुप्रभा 'सुधा जी' कृत हिन्दी अनुवाद सहित, आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर द्वारा, ई. 1985 में प्रकाशित। ___(5) आवश्यक चूर्णि : जिनदास गणि महत्तर कृत आवश्यक चूर्णि ई. 1928-29 में श्री ऋषभदेव केशरीमल जी श्वेताम्बर संस्था, रतलाम द्वारा दो भागों में प्रकाशित हुई है। (6) आवश्यक वृत्ति : विजयदानसूरीश्वर जैन ग्रन्थमाला, सूरत द्वारा 1936 ई. में आवश्यक सूत्र पर रचित आवश्यक नमिसारवृत्ति का प्रकाशन। (7) आवश्यक वृत्ति : देवचन्द्र लालभाई जैन पुस्तकोद्धार संस्था, बम्बई द्वारा आचार्य मलधारी हेमचंद्र रचित 'आवश्यकवृत्ति प्रदेशव्याख्या' का चंद्रसूरिकृत प्रदेशव्याख्या टिप्पण के साथ ई. 1920 में प्रकाशन। R@ @RB0BRO0BRB0BR [34] R@ @R@ @RB0BR@@R: