________________
सवाने - उमरी.
( पृथ्वी फिरती है - या - चांदसूर्य - )
अगर पृथ्वी फिरती है- एसामाने तो एकगांव दूसरे गांवसे जिस दिशा में है उसदिशासें वदलजाना चाहिये. वारीशके दिनों में समझो दो घंटेतक एकजगह वारीश होती रही, और इधर जमीन दो घंटे में फिरतीहुइ आगेकों चलीगइ फिर तालाव - पानी से कैसे भरसकेंगें ? एक द्रख्तके मालेसें निकलकर एक पक्षी समझो आस्मानमें उड़ा, और वह आधघंटेतक आस्मानमें उडतारहा, इधर पृथ्वीकेशाथ लगा हुवा द्रख्त-आगे चलागया, सोचो! फिर वह पक्षी अपने मालेको कैसे पासकेगा, ? अगर कहाजाय कि - चांदसूर्य स्थिर और पृथ्वी फिरती है तो अमावास्याके रौज-चांदसूर्य एक राशिपर और पौर्णिमा के रौज - एक दुसरेके सामने क्यौं आजाते है ? एक राशिपर जो अनेक ग्रहोंका मिलना - और - जुदा होजाना नजरके सामने दिखाइ देरहा है वह क्योंकर सबुत होगा ? अगर पृथ्वी फिरती है-तो-- यहभी सवाल पैदा होगा कि वह - गाडीके पैयेकीतरह उर्द्ध - अधः फिरती है ? या कुंभकारके चक्रकीतरह तिर्यग फिरती है ? अगर उर्द्ध - अधः फिरती है-तो- उर्द्धस्थित पदार्थ अधः आने से गिरनेकी संभावना है. अगर कुंभकारके चकी तरह तिर्यग फिरती है तो कहीए ! किसके आधाररहकर फिरती है-, ? बहुतसी बातें बयान किड्गथी, यहां थोडे में - मतलब कहदिया है.
[ संवत् १९५२ का चौमासा शहर भोपाल, बादवारीशके लशकरसे रवाना होकर दतिया - जहांसी - ललि तपुर- वासोदाहोते भिलसागये, और (१५) रौज वहांपर कयाम किया, व्याख्यान धर्मशास्त्रका हमेशांदेतथे एकरोज भिलसाके पडोसमें बौधस्तूपोंकों देखनेगये, भिलसा बौधस्तूपोके लिये मशहूर
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
( ५५ )
"
www.umaragyanbhandar.com