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( ३१८ ) तवारिख-तीर्थ-उज्जैन. मेंदानपर हुवाथा, वीतभय पतन नगरसे-उदयन-वडी फौज लेकर मुल्क मारवाडके रास्ते उज्जेन आया, और चंडप्रद्योतने उसका मुकाबिला किया, मगर आवरीशमें सिकस्तखाइ, और उदयनकी फतेह हुइ, चंडप्रयोतको गिरफतार करके अपने वतनको लेचला, जब उज्जेनसे थोड़ी दूर पहुचा मोसिम बारीशका करीब आगया. था वारीशहोना शुरु हुइ. उदयने वहां मुकाम किया और बारीशके दिन गुजारे, दस राजे जो उनकी मातहतीमेये उनको रहते जब चौमासा गुजरा-तो-वहांपर एक मौजा बस गया जिसका नाम दशपुर कहलाया, चौमासेमें जब पपग पर्वके दिन आये अखीरके रौज उदयनने चंडप्रद्योतसे कहा आज हमारे उपवास व्रत हैतुम-जो-चाहो-सो-बनवालो. हम आज नही खायगे. चंडअयोतने कहा आज-मभी-उपवास व्रत करुंगा, शामके वख्त जब पतिक्रमण करनेका वख्त करीब आया उदयनने चंडप्रयोतसे कहा आज पर्युषणपर्वका अवीरदिन है धर्मशास्त्रको रुसे वैरविरोध दुर करके राजीखुशी होना चाहिये, चंडप्रयोतने कहा-में-तुमसे राजी कैसे होसकुं, तुमने मेरी सलतनत लेली और गिरफतार किया, उदयनने कहा, अछा : अब क्या चाहते हो ? चंडायोत बोला अगर मुजे राजी करना चाहो-तो-उज्जेनकी सलतनत वापिस देदो उदयनने उसी वख्त उज्जेनकी सलतनत उसको वापिस देवी,
और उसकी खताको दर गुजर किइ, चंडप्रयोत उज्जेन आया और उदयन अपने वतन वीतभयपतनको गया,
रोहानामकाशख्श इसीउज्जनकेपास एक-नटग्रामका-रहने. वालाथा, जिसकी अकलमंदीका बयान मूत्रआवश्यककीटीकामें दर्ज है, कोकासनामका कारिगिर-जो-सोपारकपतनका रहनेवाला था इसउज्जेनमें आयाथा, और अपने इल्मसे बहुतसी दौलत यहां हासिल किइथी, अटनमल नामका पहलवान इसीउज्जेनका वाशिंदा
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