Book Title: Kitab Jain Tirth Guide
Author(s): Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 504
________________ ( ३८६ ) गुलदस्ते - जराफत. " २३ - एक आदमी जंगली तर्फ जारहाथा, एक हाथी भागता हुवा पीछे आया आदमी वडाया और एक दरख्तपर चढ गया, हाथ भी पीछे पीछे आकर उस दरख्तकों हिलाने लगा, आदमी दोनों हाथो से एक शाखकों पकड़कर लटक गया. और नीचे देखता है - तो एक कुवा नजर पडा, उसमें चार सांप मुह फाडकर वैठे हुवेथे, दरख्त के उपर के भागमे मख्खीयोंका एक छाताभीमौजूदथा, और उसमे सहेत के बंद गिर रहेथे, इस आदमीके मुहमें एक एक बूंद पडताथा, जिसशाखाकों पकड़कर वह लटक रहाथा उसको सफेद और शाम चूहे भी काट रहेथे, पस ! इससुरतमें आस्मान से एक विमान आया, और उसमेसे एक देवता इस आदमीकों कहने लगाकि - अगर- तुमको अपनी जानसे वचनाहो - तो - इस विमान में बैठ जाओ, आदमी कहने लगा अच्छा ! ठहरिये, एकबुंद सहतकी और मुंहमें आजाय फिर-में- आता हुं, देवताने सोचा ! देखो !! यह अपनी जानसेभी सहेतकी बुदकों बढकर समझता है, फौरन ! अपने विमानको लेकर चले गये, इधर आदमी शाखा कटजानेसे hai frrust और मर गया, इस मिसालका मतलब यह है कि - आदमी - दुनियाकी हिर्समें पडकर अपनी जान खोलेता है, मगर धर्म नही करता, कुवा - जो था सो संसारथा, और उसमें क्रोध, मान माया, लोभ-चार सांप थे, हाथी - जो था वह इसका काल था दो - चूहे - काले और सफेद रात और दिनथे, और सहतका छत्ताजो था दुनियाकी हिर्सथी, विमान लेकर जो देवते आस्मानसें आयेथे-वे- धर्मके बतलाने वाले गुरुलोगथे, और दरख्तपर लटकने वाला आदमी संसारी जीवथा, जिसने देवताका कहना - न- मानकर अपनी जान - खो -लइ, इसलिये हर आदमीकों चाहिये दुनियाकी हिर्सपर ज्यादह खयाल - न रखे, और धर्मपर पाबंद रहे, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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