Book Title: Kitab Jain Tirth Guide
Author(s): Unknown
Publisher: ZZZ Unknown
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गुलदस्ते - जराफत.
( ३९३ )
परमेश्वर तो देखताही होगा, इसबातकों सुनकर वाप दिलमें शामदा हुवा और उसदिन से चोरी करनेकी आदत छोडदिइ,
[ एक चोरकी रहमदिली, ]
चौरो निःस्वगृहे गतो हिमनिशि प्राहमियं स्वाबला, त्वत्पार्श्वेवरखंडकं ददतुवा शिघ्रं ग्रहीष्वार्भकं, नोग्रन्हात शिशुं ददाति-न- तदा द्वंद्वंच जातं तयोः तच्छ्रुत्वांवरकं शिशुपरि हरो क्षिप्त्वागतोन्यालये, १
३२- किसीगांवमें एक गरीब आदमी रहताथा जिसकों एक औरत और एक लडकाभी था, खानेपीके लिये निहायत तंग थे, यहां तक कि - मौसिमे जाडेमे वदनपर औढनेकेलिये कपडाभी नहीथा, envr insaan उसकेघर चौर चौरी करने लिये आया और छीप कर खडा हो गया, इससुरतमें औरतने अपने खाविंदसें कहा, लडका ठंडसे निहायत सुकड गया है. आपके पास कोई कपडा होतो फेंक दो, ताकि इसको ओढार्दु, खाविंदनेकहा, में - खुद मारेठंडके तंगहोगयाहुं, तुजे लडकेकी सुझीहै, औरत मजबूर होकर रहगई, चौर इसबातकों सुनकर रहमदिलहुवा और अपने बदनका कपडा उसलडके क ओढाकर चलागया, देखिये ! चौरकोभी किसकदर रहमआया, दरअसल रहम आनाथा लडकेके बापकों - मगर - उसका बरअक्षहुवा, (यानी) चौरकों रहम आगया, दुनियामें मिशा लहैकि - नादान दोस्तसे दाना दुश्मन वहेत्तर,
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[ हिदायत गुरुजीकी चेलेकों, 1
३३ - एकगुरुजी अपने चेलेसे हमेशां कहाकरतेथे पात्रे हरदम देख लियाकर ताकि उसमे कोइ जीवजंतु या कीडेमकोडे -त-जमा 1
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