Book Title: Kitab Jain Tirth Guide
Author(s): Unknown
Publisher: ZZZ Unknown
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गुलदस्ते-जराफत. (४०७ ) बुजुर्गोका फरमानहैकि-बगेर चीज देखेभाले-या-कबजेमेलिये मौल देदेना अकलमंदीकी बात नहीं, बादशाह बोले, अगर सोदागिर घोडा लाकर हाजिर करेगा तो, ? मुन्शीने कहा अगर-न-करेगा तो ? बशर्तेकि-उसकी पहिचानतक आपको नहीं है, बादशाह तुर्त उस बातकों समझगये और उस सोदागिरसे रुपये पीछे लेलीये इसलेखका मतलब यहहैकि बगेरचीज देखभाले और कब्जेकिये पेस्तर दामदेदेना मुनासिवनही, ..
५१-[ एक अनपढ राजेका जिक्र, ] एक रोज एक भाटने एक राजासाहबके पास जाकर कुछकवित्त सुनाये, राजासाहबने खुशहोकर खजानचीको हुकम दियाकिइसे-सवारुपया इनाम दियाजाय, खजानचीने उसहुकमकी तामीलकिइ, भाट जब इनामपाकर राजासाहबके सामने आया, राजासाहबने पुछाकि-क्यौं ! तुजे सवारुपया मिलगया, भाटने जवाबदिया, हुजुर ! बीसआने मिलगये, राजासाहब गुस्से होगये और खजानचीको बुलाकर कहा, मेने सवारुपया देनेका कहाथा तेने इसकों बीसआने क्योंदिये ? इसमाजरेको सुनकर भाटसे बिनाजवाब दिये के-न-रहागया, वोट उठा, हुजुर सवारुपया और बीसआने एकही बातहै, राजासाहब भाटपर खफाहुवे, और कहनेलगे तेने मुजेपेस्तरसे क्यों-न-जचायाकि-सवारुपया और बीसआने एकही वातहै, देखिये ! अनपढ महाशयोकी खूबी, गरज! इसमिशालकी यहहैकिहरशख्शको इल्महासिल करना चाहिये,
५२-[ एक जजसाहब और मुजरीम, ] एक जजसाहबके इजलासमें एक शख्शका मुकदमा चलताथा, जजसाहबने पुछाकि-तुमारीसादी हुइहै-या-नही ? मुजरीमने जवा
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