Book Title: Kitab Jain Tirth Guide
Author(s): Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 1
________________ [इतिदाय बदबाचा मन्म) क्याही सरशब्जहै-यह जैन बगीचा देखा। हरे सजर नुरका-दिखलाताहै जलवादेखो, ५ जैनश्वेतांबरो बुल्बुलकी तरहसे तुमभी, जांफिदा करके जरा-इसका तमाशा देखो, २ एकसो आठ तीर्थोकी-जोलिखीहै तपसील, शौखसे उसको पढो-याके सुनो यादेखो, ३ किसकदर इसके मुसन्निफको बनाया कामील, आत्मारामजी महाराजकी किरपा देखो, ४ काबिलेहम्द-वे- तीर्थकर निरंजन-व-निराकारहै जिनकाज्ञान कुल्लदुनियामें आशकारहै, अब-में-इसकिताबके मजमुनपर आताई, सायकीन-व-नाजरीनको खुशखबरी सुनाताहुं, मुद्दतौका इरादा आज कामयाबहुवा, शुक्रहै आज यहकिताब छपकर नाजरीनोंकी नजरोंके सामने आगइ, इसकिताबमें सूत्रआवश्यक-उत्तराध्ययनकल्पसूत्र-विविधतीर्थकल्प-प्रबंधकोश-प्रभाविकचरित-परिशिष्टपर्व धचितामणि वगेरा जैनकिताबोंसें मजमुन अकजकरके लिखागता, और कइ तवारिखोंसे पुरानीबातें इंतिखाबकरके दर्जकिइहै, रेलवे गाइडोंसे टेशनोंका-हाल-और किराया बतलायागयाहै, मगर किराया कभीकभी कमीबेसीमी होजासकाताहै, नाजरीन बरवात तलाशकरलेकि-किरायारेलका यहांसें वहांतक क्यालगेगा, ? अगर कोइश्रावक जैनतीर्थकी जियारत मानाचाहै इसकितावकों १-दरख्त, २-ग्रंथकरता, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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