Book Title: Kitab Jain Tirth Guide
Author(s): Unknown
Publisher: ZZZ Unknown
View full book text
________________
गुलदस्ते-जराफत (४१९ ) उस्तादके कहनेलगा, जनाब ! उस्तादना-मुख्तदना-किला-वकाबाअम-हुजुरकी दस्तार अस्मतआसारपर-एक-अखगरना हीनजार-शररवार-आतीशकदये-चिलमसें परवाजकरके-शौला-अफगनहै. इसलंबे चोडे फिकरेके कहनेतक-पघडी-आधी जलकर खाखहोगइ, बल्कि ! आग सिरकीभी खबर लेनेलगी, उस्ताद दोनोंहाथोसें सिरमलतेहुवे बोले, ए ! नावकार ! क्या ! यही मौका तैरी फसाहतबयानी और तुलकलामीकाथा, ? साफ नहीकहा गयाकि- आपकी पघडीमें आग लगीहै,-हरेक वातपर मौका देखना-या-लंबीचोडी बाते बनाना,-? शागिर्दने कहा आपका फरमानाथा-बातचीत-लियाकत और दुरुस्तगीके शाथ करना,
६८ [ एक हकीमसाहबका-नाडीदेखनेजाना,]
एकहकीमसाहब अपनेलडकेकों शाथलेकर बीमारकी नाडीदेखनेकों गये, जब बीमारके घरपहुचे बीमारकी चारपाइके पास एक छिलका नरंगीका दिखलाइदिया, बीमारकी नाडीदेखकर हकीमसाहब बोले, आज नाडीमें मालूमहोताहै, आपने कोइ खटीचीज खाइहै, बीमारने कहा, हां ! साहब ! आज मेने दो-फांके नरंगीकी खाइथी, हकीमसाहबने कहा, इसतरह बदपरहेजी मतकिजिये ! दवाका असर विगडजायगा, बीमारने कहा आइंदा ऐसा-न-करुंगा, दुसरेरौज जबफिर हकीमसाहब नाडीदेखनेकों गयेतो बीमारके घरके पास भीडीके दो-चार-टुकडे पडे हुवेदेखे, भीतर जाकर बीमारकी नाडी देखी और कहनेलगे आज कोइ आपने सकीलचीज खाइ है, बीमारने कहा, बेशक ! आज मेने भीडीका साग खायाथा, हकीमसाहब बोले, ऐसी बदपरहेजी तो-न-किजिये ! दवा कार आमदन- होगी. हकीमसाहब जब घरपहुचे लडकेनेपुछा, आप नाडीदेखकर कैसे जानजातेहोकि-नरंगी-या-भीडी-खाइहै, ? हकीमसाहबने
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com

Page Navigation
1 ... 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552