Book Title: Kitab Jain Tirth Guide
Author(s): Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 524
________________ ( ४०६ ) गुलदस्ते-जराफत. ४९-[सवाल बादशाह अखबरका दरबारी मुसाहिबोंसें,] बादशाह अखबरने अपने सरेदरवार मुसाहिवोसें पुछाकिबतलाओ ! सवपत्तोंमें कौनसा पत्ता बडाहै, ? चुनाचे ! किसीने कहा केलेका पत्ताबडाहै, किसीने कहा अरइका-और किसीने कहा सागवानका बडाहै, इसीतरह पेंदर जवाब देनेलगे, मगर किसी का जवाब बादशाकों पशंदे खातिर-न-हुवा, जिसवरूत बीरबलसे पुछागया उसने जवाबदिया, हुजुर ! नागरबेलका पत्ता सबसे बडाहै, जो आपके मुंहतक पहुचताहै, बादशाह यह सुनकर निहायत खुशहुवे, ५०-[ एक अकलमंद मुन्शी ,] एक अकलमंद मुन्शी-अपने शहरमें-कोइ कम अकल पनेका काम करता दिखाइदे फौरन ! उसकानाम अपनी किताबमे लिखलियाकरताथा, एक रौज बादशाहके दरबारे खासमेंमी आपहुचा, एक सोदागिर घोडे बेचनेवाला बादशाहके सामने खडाथा और कुछवातचीत कररहाथा, बादशाहने कहा ! कोइ उमदा घोडा लायेहो, ? उसने कहा सरेदस्त कोइहाजिर नही, मगर बहुकम हुजुरके उमदा घोडा खिदमतमें हाजिर करसकताहुं, बादशाहने पुछा उसकी कीमत क्या होगी ? सोदागिरने जवाबदिया दशहजारसे कम-नहोगी, वादशाहने खजानचीकों हुकमदिया अभी इसको दशहजार रुपये देदो, व सुजव हुकम बादशाहके खजानचीने रुपये देदिया, मुन्शीने यहमाजरा देखकर अपनी किताबमें लिखादियाकि-बादशाह-कमअकलहै, किसीने इसवातकों देखा और बादशाहसे अर्ज किइकि-आपको इसमुन्शीने कमअकलके नामसे लिखलिये है, बादशाहने उसको बुलाकर पुछा और उसने जवाब दियाकि-हुजूर ! Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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