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गुलदस्ते - जरफत.
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रामभी अपनी औरतकों लेकर चला गया, अब रहा केशवलाल - सो- उसने बारां महिने तक जानेका नाम नही लिया, तब पुरोहितजीने सलाह कि अब इसकी तजवीज क्या करे ? औरतने कहा, मेने तीनों की तजवीज तो कर दिखाइ, अब इनकी तजवीज आप किजिये, गरजकि- बापबेटेने सलाह कि कल जीमते वख्तमें तुजपर खफा होगा, उस वख्त तुंभी मेरे सामने गुस्ताखी करना, यहां तक कि - हाथा पाइ करके लडाइ लडना, और जब वह अपनोकों छुडानेके लिये आवे दोनो मिलकर उसीकों खूब सीधा करना, पस ! दुसरे रौज उसी तरह बापबेटोमें लडाइ शुरु हुइ, केशवलाल उस वरूत रसोइ जिमनेको आयाही था, उसने देखा बापबेटे लड रहे है, चलो ! इनकों छुड़ा देवे, इस ख्यालसे दोनो के दरमियान आया, और छुडाने लगा, पस! इनाने काबु पाकर उसकों इस कदर सीधा कियाकि-बोभी याद करे, वर्स दिनका खायापिया दो घंटेमें वसूल कर लिया, गरजकि- सब - भुखे प्यासे रसोइकी जगहसे बाहर चले गये, केशवलालभी विना खाये पीये अलग जाकर सौचने लगा कि - अब यहां रहना बिल्कुल ठीक नही, अगर रहेगे तो फिर यही नौबत होगी, गरजकि- दुसरे रौज विना पुछे अपने सुसराल के घर से विदा हो गया, इस किस्सेपर एक श्लोकभी बना हुवा है, पढलो, -
वज्रकूटाद विजेरामः - तिल तैलेन माधवः भूमिशय्या मंणिराम: - धक्का धूमेन केशवः,
५८ - [ एक मालिक और गुस्ताख नौकर, ]
एक मालिकने अपने नौकर से कहाकि - हवा खोरीकों जायगें, गाडी लाओ, नौकर गुस्ताख था तवेले से विनां घोडे जोते गाडी
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