Book Title: Kitab Jain Tirth Guide
Author(s): Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 521
________________ गुलदस्ते - जराफत. ( ४०३ ) हमको फलांगांव जाना है, किससडक होकर जावे, ? किसाननेकहा ऐसा कहोतो बतलाताहुं, देखो ! इससडक होकर चले जाओ, - ४६ - [ मौसिमं कौनसा अछा ? ] एकदिन बादशाह अखबरने सरेदरवार अपने मुसाहिबोंसें पुछा कि बतलाओ ! मौसिम कौनसा अछा है ? किसीने कहा मौसिम गर्मीका अच्छा है, किसने कहा सर्दीका, और किसीने कहा मोसिमे वारीश सबसे वहेत्तर है, लेकिन ! किसीकी बात बादशाह अखबरकों पसंद-न-आइ, जब वीरवलके कहनेका मौका आया, झटसें कहा- मौसिम - वो अच्छा है जिसमें अपनी तबीयत बहाल रहे, और खाना अछा मिले, बादशाह खुश होकर कहने लगे जवाब हो - तो ऐसा हो, जिसपर कोइ उजर नही कर सकता, अछा! अब एक और बात पूछता हुं बतलाओ ! जब रातकों सब कोइ आराम करता है उस वख्तभी कोइ चलता है - या नही ? बीरबलने जवाब दियाकि - हुजुर ! उस वख्तभी साहूकारका व्याज चलता है, जो कभी नींदभी नही लेता, ४७ - [ जैन धर्मकी चंद बातें, ] जैन मजहब निहायत पुराना और इसमें रिषभदेव वगेरा चौइस तीर्थकर सर्वज्ञ हुवे, बडेबडे चक्रवर्ती - वासुदेव - प्रतिवासुदेववगैरा राजे इस मजहबमें हो चुके है, आजकल जैनोंकी मर्दुमशु मारी कम है पेस्तर बहुतथी, जैनके अखीरकें तीर्थंकर महावीर और 'बौध मजहबके गौतम बुध एक समयमें मौजूद थे, जैन और बौधके उसूल जुदे जुड़े है जो लोग एक समझते है ठीक नही, दुसरे मज Teri sarai जगतका कर्त्ता कहते है, जैन इस बात से खिलाफ है, जो कुछ भले बुरे कर्म जीव करता है, उसका फल Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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