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( ३८४ ) गुलदस्ते-जराफत. बजे जानेवाली रैल मिल जायगी, रास्तेमें जो लोग मिले उनसे पुछने लगा, क्यों भाइ ! वारांसे ज्यादह-तो-नही बजे, रैल मिल जायगी, ? उनोने कहा हमारे यहां बारांसे ज्यादह कभी नहीं बजते, रैलको गये आधा घंटा होगया है, जल्दी जाइये सायत ! मिल जायगी,
[फुलकीबडाई] १९-एकरौज अखबर बादशाहने सरेदरवार अपने मुसाहिबोंसें पुछाकि बतलाओ ! फुलोंमें कौनसा फुल बडाहै, इसबातपर कइ मुसाहिबोने कहा फुल गुलाबका बडाहै, कइयोने चंपाका और किसीकिसीने जाइका फुल बडा कहा, आखिरकार जब बीरबल तक नौबत पहुंची-तो-उनोनेकहा जहांपनाह ! सबसे बडाफुल कपासकाहै जिससे तमाम आलमका लिवास बनताहै और उनके वदनकी हिफाजत होतीहै, बादशाह इसबातकों सुनकर निहायत खुशहुवे और बीरबलकों इनाम दिया,
[एकबुढेकी चालाकी] २०-एक वापबेटा बाजारसे सौदा लिये आरहेथे. बापके सीरपर तेलसे भराहुवा घडाथा, और बेटा दुसरी चीजेलेकर पचीस कदम के फासले चलाआरहाथा, रास्तेमें बुढेने एक सोनामहोर कचरेमें पडीहुइ देखी, मगर दुकानदार लोग देखरहेथे, इसलिये उठालेनेकी सुरत-न-वनी, तव अपने सीरपर जो तेलका घडाथा जमीनपर गेर दिया और तेलजमीनपर वहनेलगा, तब बुढेने तेलके बहाने महोर अपने हाथ करलिइ दुकानदारोने बेटेसे कहा तेरे वालिदने तेलका घडा जमीनपर गिरादियाहै, तुं ! जल्दी जा बेटेने कहा इसवातकी कोई परवाह नहीं, में-खूब-जानताएं-मेरे वालिद ऐसे अनजान नहीं जो वगेरफायदेके घडा नुकशान करे फायदा देखकरही यहकाम किया होगा,
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