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गुलदस्ते-अराफत. ( ३८३ ) मलाइके लिये लडाइ, इसमिशालका मतलब यह हैकि-विना-चीज -लडाइ लडना फिजहूल है,
[एक नौकरकी फिजहुल बडाइ ] १६-एक दौलतमंदके मकानपर पनरांसोलह आदमी बेठे बातचित कर रहेथे, जब मालिकने चाहा अब आरामपानेका वख्त करीब आया है, बत्ती बुझाइ जाय इसखयालसे अपने नौकरकों बुलनेके लिये घंटी बजाइ, तब मोहना नामका नौकर भीतर दोडा
और थोडी देरके बाद हसता हुवा बहार आया, दुसरे नौकरोने पुछा क्यों बे ! हसता क्यों है ? मोहने नौकरने कहा, भाइ ! सोलह हट्टेकट्टे जवान बेठे हुवेथे, उनसबोसे एक बत्तीभी-न-बुझी, जब हम गये तब बुझी, देखिये ! नौकरने फिजहूल बडाइ मारी, जोकि उसका-खास काम था किया और फिर बडाइकी बडाइ,
[एक दिवानेका किस्सा,] १७-एक बादशाह किसी दिवानेके सामने गया और कहाकि -तुं कुछ मुजसे मांग, जो तुं मागेगा-में-दुंगा, तब दिबानेने कहा हुजुर ! मख्खीयां मुजे बहुत सताती है, इनको हुकम दिजिये, मुजे-न-सतावे, बादशाहने कहा. अबे ! जो कुछ मेरें हुकममें है ऐसी चीज मांग, यह क्या ! वाहियात मांगता है, दिवाने शख्शने कहा जब मख्खीयेंभी आपका हुकम नही मानती है-तो-और क्या चीज मांगुं ? जो आप देसकोगे,
[एक मुसाफिरका लतिफा] १८-एक मुसाफिर किसी दुसरे गांव जानेके लिये टेशनपरं चला जा रहाथा, और दिलमें समझ रहाथा बारां अभी नही बजेहै, बारा
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