Book Title: Kitab Jain Tirth Guide
Author(s): Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 492
________________ ( ३७४ ) गुलदस्ते-जराफत. रखकर आगे बढातो एक दुल्हादुल्हन-सादीकरके बरातकेसाथ आरहेथे, देखकर बोला ऐसाकभी-न-हो, इसबातकों सुनकर वरातीलोगबहुत गुस्सेहुवे और कहनेलगे ऐसाक्यों कहताहै, ? यूं कहोकिऐसा बारबारहो, फिरआगे बढा-तो-राहमें राजाके नौकर-दोचार इज्जतदार महाजनोकों किसीखताहपर गिरफतार करके लेजारहेथे लडकेने उनको देखकर कहा ऐसाकाम बारबारहो, तब उनकेशाथी लडकेपर नाराजहुवे, और कहनेलगकि-ऐसा क्यों नहीकहताकिजल्दीछुटजाय, इसबातकों यादकरके आगेजाताहै-तो-एक बागमें दो-जमातवाले-इकठेहोकर दावतकर रहेथे और कहतेथेकि-क्या ! मुबारक रौजहै-जो-आजहम इकठे होगये, लडका वहां पहुचा और कहनेलगा जल्दी छुटजाय, तब उनलोगोंने खयालकिया, यह कौन कमअकल लडकाहै-जो-एसाबुरा सकुन निकालताहै, गरजकि लडका-वहांसे आगेको बढा और एकगांवमें गया, वहां एकचौधरीकेपास नौकररहा, जब चंदरौज गुजरे और एकरौज चोधरी पांचदश आदमीयोंकी मजलिशमें किसी बातका निवेडा कररहेथे चौधरानने नौकरसे कहा, जाओ ! चौधरीजीको बुलालाओं, जवारकीरोटी तयारहै ठंडा होजायगी, नौकरने मजलिसमें आनकरकहा चौधरीजी ! चलिये ! जवारकी रोटी डंडी होजायगी, चौधरीजी इसबातसे शमींदा हुवे और घर आनकर नौकरसे कहने लगे ऐसी कोइवातहोतो मजलिसमें नहीकहना, जब मजलिस बरखास्तहो धीरेसे कहना, एकरोनको वातहै, चौधरीजीके घर अंगार लगगइ चौधरानने नोकरको दोडाया, और कहा, जाओ ! चौधरीजीकों जल्दी बुलालाओ, चौधरीजी मजलिसमें वेठेथे, नौकर वहांजाकर बेठगया, और दोघंटेवाद जब मजलिस बरखास्तहुइ धीरेसे जाकर कहा चलिये ! मकानको आग लगीहै, चौधरीजी घर आये और Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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