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( ३५४ ) बयान-विरान-और-नामांतरहोगयेहुवे-तीयोंका. वोभी अब जेरेजमीन होगयाहै, ३-प्रयागतीर्थमें तीर्थकर शीतलनाथ महाराजके नामका एक जैन तीर्थथा वोभी अब विरान होगया, ४-प्रभासमें शशिभुषण चंद्रप्रम-ज्वालामालिनी देवतावसरनामका गौतमस्वामिप्रतिष्टित एक जैनतीर्थ था मगर बोभी अब नजर नहि आता, ५-प्रतिष्ठानपुर-जोकि-मुल्कदखनने पेंटनके नामसे मशहुर है, पेस्तर वहां नीर्थकर मुनिमुव्रतम्बामीके नामका जैनतीर्थथा, ६हेमसरोवर-और-मानसरोवरके कनारेपर जैनतीर्थथे अब नजरनहि आते, ७-कोटिशिलाके पास एक जैनतीर्थ या उसकाभी कुछ पता नहि लगता, ८-कादंवरीअटवीम कलिकुंड पार्श्वनाथमहाराजके नामका एक जननीर्थथा, '.-हिमालयकी उत्तरमें जहां पृष्ट चंपानगरी थी शालनामका राजा अमल्दारी करताथा, और महाशाल उसका छोटाभाइथा, जैनागम-आवश्यकत्रके अवल अध्ययनमें बयान है कि-तीर्थकर महावीरस्वामी वहां तशरीफ लेगयेथे और-शालमहाशालकों दीक्षा दिइथी,
१०-दंडकारन्य जहांकि-रामचद्रजी-लछमनजी और सीताजी वनवासके वख्त रौनकअफ रौजहुवेथे. मध्यहिंदमें शुमारकियाजाता है, ११-विराटमें जहां पांचपांडव वनवासके वख्त ठहरेथे पेस्तर वहां जैनतीर्थथा, १२-तागतंबोलमें जैनतीर्थथा अवभी स्यातहोगा मगर पता नहिलगता, १३-ताम्रलिप्ती नगरीमें जैन तीर्थथा, १४गंगा यमुनाकी वेणीसंगमके पास-जो-आदिकमंडल नामका और तीर्थकर कुंथुनाथमहाराजके नामका जैनतीर्थथा फिलहाल उसकाभी कुछ नामनिशान मालूम नहिहोता, १५-माहेंद्रपर्वतमें पदमप्रभुके नामका-और-छाया पार्श्वनाथके नामका जैनतीर्थथा वोभी अब नाश होगया, १६-गंगानदीके पास विमलनाथमहाराजके नामका एक जैनतीर्थथा वोभी अव-न-रहा, १७-त्रिकुटगिरि पर्वतमें तीर्थ
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