Book Title: Kitab Jain Tirth Guide
Author(s): Unknown
Publisher: ZZZ Unknown
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नसीहत--उल-आम, (३६७) घरकी दिवारपर चित्राम करानातो-लडाइका देखाव-सांप-कौआ या-विनागर्दनके आदमीका चित्र-नही-खीचवाना चाहिये, देवविमान-नाचतीहुइ परी-बागवगीचे-फलफुल-और-मनलिशका चित्रामबनाना अछाहै, छोटेघरोमें रहना जहांकि -हवाकी-आमदरफत न-हो-बिल्कुल ठीकनही, आजकल कइजगह देखतेहै-तो-छटी छोटी कोठरीयोमें लोग अपनी औकातबसर करतेहै, जिनकेपास दौलत नहीं है पूर्वजन्ममें पुन्य कम कियाहै उनकेलिये अमरलाचारी है,दुनि यामें चक्रवर्ती जैसे बडेबडेराजे होगये जिनकेघर-नवनिधान-चौदहरत्न-हाथीघोडे-जवाहिरात-सोना-चांदी-नोकर-चाकर-म्यानेपालखी और छडी चवर मौजुदथे-वेभी पुन्यसे सबचीज पायेथे,
१०-सचबोलना और धर्मपर कामील एतकात रखना हरेककेलिये फायदेमंदहै, आजकरनेका काम कलपर मतरखो, आदमी जैसे दुश्मनसे डरताहै अगर पापसे डरे तो क्याही ! उमदा बातहै, दो-आदमी-वातकररहेहो विनाबुलाये जाना मुनासिब नही, गुनहगारकी माफी उसवख्त होसकती है जब-वह-अपनी-खताका कायलहो, जहां नादानोकी मजलिश मिलीहो वहां नसीहतकरना कारआमद नही. नादानदोस्तसे दानादुश्मन बहेत्तर, सबदिन एकसरखे किसीके नहीरहते. रामचंद्रजी लछमननी-और-पांचपांडव जैसे इकबालमंद और खुशनसीबोंकोंभी बनवास करनापडाया, कहांतक वयानलिखे बहुतेरीमिशालै मौजूदहै, तदवीरकरतेहुवेभी काम उल्टा होजाताहै तो समझनाचाहिये तकदीर अपनीअछीनही, तकदीर उल्टीहो और काम बिगडजाय-तो-उसका रंजकरनाभी लाहासिलहै, जहां बहुतसे बेंइल्मलोग बेठेहो-वहां-इल्मी तकरीर करना फायदेमंद नही,
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