Book Title: Kitab Jain Tirth Guide
Author(s): Unknown
Publisher: ZZZ Unknown
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नसीहत-उल-आम.. ( ३६३ ) रकेबाद शास्त्रकी वाज सुननेकों हाजिरहुवा, गुरुजीने व्याख्यान खतमहोनेपर पुछाकि-आजदेर क्यों हुइ ?-उसने जवावदिया एकमेहमान-आयाथा उसको विदाकरने जानापडा जिससे देरीहुइ, गुरुजीको मालूमनहींथा एक दुसरे श्रावकने कहा, गुरुजी ! इसका नवजुवान लडका मरगया-तोभी-यह अपनी हुस्नेएतकात शास्त्रकी वाजसुननेकों आयाहै, गुरुजीने कहा तारीफहै इसकी-और धर्मका पावंद होतो ऐसाहो.
५-शास्त्रका बयान सुनतेवख्त अगर किसीकों कोइ सवालकरना मंजूरहो विनयसे करे, किसी किसमकी बांकीटेडी बात-न-करे
और अगर अपनी भूलपर गुरुजी कुछ सख्त वातकहे-तो-उसका बुरा-न-माने, और हक बातको समझे, जिसकादिल साफहोगा शास्त्रकी बातपर उसकों फौरन ! असर होगा, जिसका दिल साफ न-होगा उसको किसी तरहका असर-न-पहुचेगा, चुनाचे ! जिस घडेमें लहसन और प्याज डालागया होगा उस्मे दूधडालेतो दूधका असर न होगा, क्योंकि उस्मे लहसन और प्याजकी असर पेस्तर मौजूदहै. एक वख्तका जिक्रहै गुरुजीने अपने चेलेकों कहा-तुं ! पापकेकाम मतकियाकर जिससे दौजकमें जापडे, चेलेने जवाबदिया गुरुजी ! में-दोजकका रास्ता कब जानताई, रास्ता बतलानेको तो आपही आओगे, गुरुजीने कहा ऐसीऐसी बातोंसेंहीतो तेरे दिलकी सफाइ जाहिरहै, चेलेने कहा गुरुजी ! वेशक ! ! मेरादिल साफनहीं, आप कोई ऐसी तरकीब बतादेवेकि-जिससे-मरादिल साफहोजाय, गुरुजीने कहा जाओ! किसी हकीमसाहवका घर तलाशकरो, और एक-दस्त-या-उल्टीकी दवा लेलो, दिलसाफ होजायगा, चेला इसमाकुल जवाब सुनकर शीदा हुवा, और चुप होगया ऐसे गुस्ताख चेलेकों ऐसाही जवाब काफीहोताहै,
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