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तवारिख-कलिकोट. ( ३४१ ) लिकोटसेंभी बजरीये ष्टीमरके कोइ-कोचीन-आनाचाहे-तो-आसकते है, समुंदरका रास्ता दोनों तर्फसे है, कोचीनके पास समुंदरके कनारे करीब (१॥) कोसके फासलेपर जहाजकी-लंगर-डाली जाती है, कोचीनसे शौरनूरआकर कलिकोट जाना, रैलकिराया शौरनूरसें कलिकोटतक ग्यारहआने,
[ कलिकोट,] मद्रास हातेके पश्चिमघाटपर जिले मलबारके कनारे-कलिकोट एक पुराना शहरहै, सन ( १८९१ ) की मर्दुमशुमारीके वख्त कलिकोटकी मर्दुमशुमारी (६६०७८) मनुष्योंकीथी, जैनश्वेतांबर श्रावकोकी आवादी और एक मंदिरभी यहांपर बनाहुवाहै, बाजार उमदा और हरेक किसमकी चीजे यहां मिलसकती है, आसपास कलिकोटके-नारियल-कालीमीर्च-केले-और-सोंठ वगेरा चीजे कसरतसे हुवा करती है, जगह खुशनुमा-कटहेल-और-नारियलके द्रख्तोके झुंड-खडे है, समुंदरके कनारे लाइटहाउस बनाहुवाहै, सरकारी कचहरियां-अस्पताल-वेंक-और-स्कुल वगेरा पुख्ता इमारतें बनीहुइ मौजूदहै, आवहवा यहांकी अछी और तंदुरस्ती बढानेवाली है,____जोशख्श इरोडसे रैलमें सवार होकर-कोचीन-कलिकोट जाना-न-चाहे वह-जोलारपेठ होते बेंगलोर तर्फ आवे, इरोडसे रैलमें सवार होकर-कावेरी-अनंगुर-संकारीग-मेकडोनाल-चोलटरी-अरियेनुर-सेलम-तिनापटी—काडीमपटो-लोकुर--मलापरमबुडीरेडीपटी-मोरापुर--काल्लवी-समलपटी-कगनकरे-और-तिरुपातुरहोते जोलारपेठ-जंकशन आवे रैलकिराया मेलट्रेन एकरुपया सात आने लगेगे, जोलारपेंठ एक छोटासा कस्बाहै, मगर रैलवेका जंकशन होनेसे मशहूरहै,
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