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तवारिख-शहर-पुना.
थोडीदुरपर शहरकीआवाही शुरुहोती है और-सवारीके लिये-इक्काबगी-तयार मिलनी है, करीब टेशनके एक धर्मशाला बनीहुइहै मगर जैनश्वेतांवर यात्रीको शहरमें जाना मुफीद है, शुक्रवार पेंठमें जैनधर्मशाला जहां मौजूद है, उसमें कयामकरे, सन (१८९.१ ) की मर्दुमशुमारीके बग्न पुनाकी मर्दुम शुमारी मयछावनीके (१६१३०० ) मनुष्योकीथी, दरमियान छावनी और शहरके सरकारी ओफिसे वगेरा मकानात बने हुवे है सवारीके लिये इक्का-बगी-हर जगह तयारमिलती है, आदितबारपेठ-बुधवारपेठशुक्रवार और शनिवारपेठ वगेराम जैनश्वेतांवर श्रावकोकी आवादी फैलीहुइ, और वैतालपेटमें वडेवडे जैनश्वेतांवर मंदिर बनेहुवे है यात्री जियारतकरे, पुनाके बाजार वडे खुशनुमा और रवनकदार जिनमें नरहतरहकी चीजे मिलसकती है, सडके लंधीचोडी-मकान रंगरौशन कियेहुवे और हरजगह पानीकानल लगाहुवाहै, पुनेमें सातदिनोके नामसे सातमहल्ले मशहूग्दै और शनिवार महल्लेमें पेशवोका महल जिसकों आजकल जुनावाडा कहते है मौजूदहै,
बागवगीचे-सरकारी कचहरीयां-हाइस्कुल-लाइब्रेरी---और अस्पताल वगेरा मकानात यहां पुख्ता वनेहुवेहै, यतीमखाना-चित्रशाला--और--पांजरापोल--यहाँपर कायमहै, रेशमीसुती कपडेतांबापीतल-और-मीटीके वर्तन यहां अछेबनते है, हरेककिसमकी वनस्पति-और-फल फलारी यहां कसरतसे हुवाकरती है, चांदी सोनेके गेहने यहां उमदा बनते है, हाथीदांतकी कंघी और मोरपंखलगेहुवे खसके पंखे-यहां लाइकतारीफके देखोगे,-जिले पुनाके उत्तरपूरवकी रुखपर शहर अहमदनगर-दूरवकीतर्फ सोलापुर-दखनकी रु उपर नीरानी और बाद जिलासितारा-और-पश्चिमतर्फ थानाजिला है, जमीन उंचीनीची और पश्चिमकी तर्फ
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