Book Title: Kitab Jain Tirth Guide
Author(s): Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 462
________________ ( ३४४ ) दरबयान - शहर-बहारी - और - किष्कंधा. " नकदार और हर किसमकीचीजे यहां पर मिलसकेगी, आवहवा, यहांकी उमदा - और - जिले बहारीमें नमक - सौरा- ज्यादहपैदाहोताहै, यात्री बहारीमें जानाचाहे शोखसे जाय और देखे, वरना ! आगेकों रवानाहोत्रे, बहारीसे रैलमें सवार होकर बल्लारीकंटोन्मेंटकुडाटीनी - दाराजी - टोरंगल - गढ़ीगलुरू- पापी नायकनहल्ली - होते हुवे होस्पेट - जंकशन उतरना, रैलकिराया चारआने, - बल्लारी से ( ४१ ) मीलके फासले पश्चिमउत्तरकी रुखपर हो - स्पेट एक रेलवेका टेशन है, सन ( १८९१ ) की मर्दुमशुमारी केवख्त होस्पेटकी मर्दुमशुमारी ( १२८७८) मनुष्यों की थी, जैन श्वेतांवर श्रावकोकी चारपांच दुकाने - यहां पर मौजूद है, मजी ट्रेकी कचहरीस्कुल- अस्पताल - वगेरा यहां पर बने हुवे है, होस्पेटसे करीब ( ७ ) मीलके फासलेपर- किष्कंधा - एक पुराना शहर है, रामचंद्रजी के जमानेमें यहां सुग्रीवनामका राजा सलतनत करताथा, और रामचंद्रजीलछमनजीभी- जबकि लंकायुद्धको गयेथे- यहांतशरीफ लायेथेजैनरामायण में लिखाहैकि- जमानेसुग्रीव के किष्कंधा - वडीरवन्नकपर थी, बागबगीचे - उद्यान - वनखंड - राजमहल -और-आलिशान मका नात यहां बहुवे, और बडेबडे दौलतमंद वाशिंदोसे सरगर्मथी. जबकि साहसगति विद्याधर और सुग्रीवका यहां - तारारानीकेलिये जंग हुवाथा - रामचंद्रजी और लक्ष्मणजी यहां सुग्रीव की मददकों - आयेथे और उनकी फतेहुइयों, पेस्तरयहां तीर्थकर शांतिनाथ महाराजके नामका जनता, जमानेहाल में बरबाद होगया, आजकल किष्कंघाभी छोटासा कस्वारहगया है यात्री अगर किष्कंधानगरी देखना चाहे तो जाय और देखे, वरना ! होस्पेटटेशनसे रैलमें सवारहोकर- मुनीराबाद -जिनीगिरा - कुप्पल - मानापुर- बन्नी कुप्पा - हरलापुर कंगनहाल-होते - गढ़कजंकशन जाय बैलकिराया नवआने लगते है. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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