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( ३२२ ) वयान-शहर-रतलाम-और-मंदसौर. थात्री वहांकी जियारतकरे, रतलामसे पश्चिमकी रुखपर एक-सागोद नामकागांव वसाहुवा जहांकि-मंदिर-धर्मशाला-और नजदीक,एक पानीका-नालाभी वहता है, यात्री वहांकीभी जियारत करे, सागोद गांवसे आगे देढकोसके फासलेपर विवडोद नामका एक कस्बा -जहांकि-तीर्थकर रिपभदेव महाराजका वडा आलिशान मंदिर कावीलेदीद है, और मूर्ति निहायतपुरानी है. अतराफमें कोट पका खीचाहुवा निसमेकियात्री-वखूबी कयामकरे, और तीर्थकीजियारत करे. रतलामसे करीब चार कोसके फासलेपर शेमलिया गांवभी एक जैनतीर्थ है, यात्रीको जिसतरह फुरसतहो-मुकाम करे और तीर्थयात्राका फायदा हासिल करे, रतलामसे आगे रैलमें सवार होकर-नांमली-जावरा-ढोढर-और-दरावदा टेशन होते हुवे मंदसौर टेशन उतरे, रैलकिराया आठआने लगेग.
ॐ [बयान-शहर-मंदसौर,-] मुल्क मालवेमें मंदसौर एक अछा शहर है. और इसका दुसरा नाम दशपुरभी कहते है, इसकेपास एक नदी हमेशां वहती है, जैनश्वेतांबर श्रावकोकी आवादी और मंदिर यहांपर बनेहुवे है, यात्री शहरमें जाकर जियारत करे. वाजार यहांका बहुतअछा और हरकिसमकी चीजे यहां मयस्सर आसकती है, दसपुरे यहां अलग अलग आवादहै इससबबसे इसकानाम दशपुरनगर कहलाया, जबकि
बीतमयपत्तनका राजा-उदयन-उज्जेनके राजा चंडप्रयोतको सिकस्त देकर अपने वतनको जाताथा यहां उसने मोसमेवारीश गुजाराथा, उसवख्त यह दशपुरनगर आबाद हुवाथा, जो आजकल मंदसोरके नामसे मशहूर है, तिजारत अफीमकी यहां कसरतसे हुवा करती है, मंदसौरसे करीब पांच कोशके फासलेपर-एक :-बहीपार्श्वनाथका तीर्थ मशहर और मारुफ है, और एक-पुराना
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