________________
( ३२०)
तवारिख-तीर्थ-मकसीजी.
उज्जनसे रैलमें सवारहोकर-ताजपुर-और-तारनारोड होते हुवे तीर्थमकसीजीकों-जाय, रैलकिराया पांचआने लगेगे,
F [तवारिख-तीर्थ-मकसीजी, ] मुल्क मालवेमें मकसीजी एक मशहूर जैनतीर्थ है, टेशनसे कवि आघमीलके फासलेपर मकसी एक छोटासा गांववाके है, जि. सकी वजहसे तीर्थकानामभी मकसीजी कहलाया, खानपानकी चीजे-आटा-दालवगेरा यहांपर मिलसकती है, तीर्थकर पार्श्वनाथजीका बुलंदशिखरबंदमंदिर मानींद स्वर्गविमानके यहांपर बना हुवा है, परकम्मा इसकी तीन एक छोटी-एक वडी-और-एक उससे बड़ी जोकि-कोटके वाहारसे दिइ जाती है, मंदिरकी चारोतर्फ (४२) जिनालय बने हुवे और इनमें बहुत करके संवत् (१५४८) के अर्सेकी प्रतिष्टित मूर्तियें जायेनशीन है, मूलनायक तीर्थकरमकसी पार्श्वनाथजीकी मूर्ति शामरंग करीब सवादोहाथ बडी तख्तनशीन है, पेस्तर इसके नीचे एक गुफाथी जिसमेसे तीर्थकर मकसी पार्श्वनाथकी मूर्ति निकलीथी, बाद अजां उसपर शंगेमरमरका चोतरा बनादिया गया, एकतर्फ चिंतामणि पार्श्वनाथ-और-एकतर्फ-नेमनाथजीकी शामरंग मूर्तिभी जायेनशीन है, रंगमंडप निहायत खुशनुमा-यात्री-इसमे वेठकर तीर्थकर मकसी पार्श्वनाथकी इबादत करते है,
तीर्थ मकसीजीका कारखाना उमदा तौरसे बना हुवा है, और पास धर्मशालाभी मौजूद है, यात्री उसमे कयाम करे, जब मकसीजीतक रैल-नहीथी-यात्री-वजरीये बेलगाडीके जातेआतेथे, मगर अब रैलके होनेसे बहुत आराम होगया, जिसके बडे भाग्य हो असे तीर्थकी जियारत करे, पिछाडी मंदिरके एक उमदा वाग
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com