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( २४६ ) तवारिख-तीर्थ-कुडलपुरी-और-मुबेविहार. धर्मशाला बनीहुइहै, दुरसेमंदिरका और धर्मशालाका एकही हाता मालूम देताहै, यात्री यहां कयामकरे और तीर्थकी जियारतकरे,बगीचा एक यहां बनाहुवाहै जिसमें गुलाब-चमेली-बेला-कामिनी बुंद-जुही-गुलदाउदी वगेराके फुल उतरते है और पजनमें चढाये जाते है, खानपानकी चीजोमें शिवाय आटादालके और यहांनही मिलेगी, कुंडलपुरकी गिर्दनवाहीमें चारपांच तालाव इसकदर गहरेजलसे भरेहुवे मौजूद है जिनमें हजारां कमलकेफूल पैदाहोते है, जिसके बडेभाग्यहो-ऐसे तीर्थकी जियारतकरे. ... [ तवारिख-सुबेविहार. ] ...जिले पटनेमें मुबेविहार एक रैलवेका टेशनहै, और टेशनसें करीब पौनमीलके फासले वस्ती सुवेविहार शुरुहोती है, सवारी टेशनपर इक्का-बगी वगेरा तयार मिलती है शहरमें जाकर महोलेमेथीआन-जैनधर्मशालामें कयामकरे, यहांसेभी पंचतीर्थी जानेका रास्ताहै. सुबेविहारमें पेस्तर जैनश्वेतांबर श्रावकोंकी आबादी बहुत थी, मगरं इसवख्त सीर्फ ! पांच-छ-घररहगये, मंदिर तीर्थकर महावीरस्वामीका-जो-इसीधर्मशालामें वनाहुवाहै इसके दर्शनकरे, मूलनायक तीर्थकर महावीरस्वामीकी मूर्ति इसमें तख्तनशीन है, इस मंदिरमें एकशिलालेख जो अलगरखाहुवाहै करीब (२.) हाथ लंबा-और-एकबिलस्त चौडा है, और इसमें राजगृहीके विपुलाचल पहाडका बयानदर्ज है, तीर्थकर महावीरस्वामी-गणधरमुधमास्वामी-राजाश्रेणिक-और अभयकुमार वगेरानामभी मौजूद है. संवत् तिथि वगेराकी जगह दुटीहुइहै, पंक्ति (१६) हर्फ उमदा-मगर धीसनानेकी वजहसें कमपढनेमें आते है, अखीरकी पक्तिमें जहां गछकानाम होता है वहां किसीने तोडदियाहै, वन शाखा वगेरा नाम पेशक मौजूद है,-....
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