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तवारिख-तीर्थ-समेतशिखर. (२८१ ) इनदशमंदिरोंके दर्मियान एसाउमदाचौक-और-मेंदानबनाहै जिसमें (४०००) हजारआदमी-ब-खूबी बेठसकते है, बाजेलोग इस वातका शुभाकरते है कि-शिखरजीके पहाडमें-हरड-बहेड-आमलेभीलावा-वत्सनागवगेरा ऐसीजहेरीजडीबुटीयेहै कि-जेठ-वैशाखमें इनकीअसर पानीमेंआजाती हैं. और यात्रीलोग इसके पानीसें बीमार होजातेहै, लेकिन ! यहख्याल महाल-बेंफायदाहै, कइदफे हम यहां गर्मीयोंकेदिनोंमें जाचुकेहै, खास ! मधुवनमें कइ कुवे मीठेजलके बने हुवे-किसीतरहकी तकलीफयात्रीकों-नहीहोसकती, पहाडके झरनोंका पानीपीना कोइजरुरतभी नही. अगर यह अमर एसाही होतातो हरवख्त यात्री यहांक्यौंआयाकरते? फिजहूल लोगोके कहनेपर ख्याल करनाकोइ जरुरतनही, रुइके रोजगारवालोंकों-कातिक-मगसीरमें फुरसतनही. चौमासेमें बारीशका सबब-और गर्मीयोम कहोग पानी लगजाताहै, बतलाओ ! फिर तीर्थयात्रा कवजाओगे ? बेटा-बेटीके विवाह और वरातमें जेठ-वैशाखमें भी जातेहो-कोइ बहाने नहीं करते
और तीर्थयात्रामें एसेएसेबहाने सामने आतेहै, मगर यहसबफिजहूल बातेहै, जिसवख्तदिलचाहे तीर्थयात्राकरो और किसीतरहका खोफ मतलाओ,
[ बयान-पहाड-समेतशिखर, ] मुल्क पुरवमें समेतशिखर पहाड जैनका पुराना तीर्थ है. प. हाडके सीरेतक एक सडक और कुछदुरतक पगदंडी गइहै, तीर्थकर अजितनाथमहाराज इसपहाडपर चैतसुदी पुनमके रौज मुक्तिकों पाये, तीर्थकर संभवनाथ-अभिनंदन-सुमतिनाथ-पदमप्रभसुपार्श्वनाथ-चंद्रप्रभ-सुविधिनाथ--शीतलनाथ-श्रेयांसनाथ-विमलनाथ-अनंतनाथ-धर्मनाथ-शांतिनाथ-कुंथुनाथ--अरनाथ-मल्लिनाथ मनिमत्रत-नमिनाथ-और-पार्श्वनाथ इसीपहाडपर मुक्तिकों पायेहै,
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