________________
तवारिख-तीर्थ-समेतशिखर. ( २८७ ) ग्यारवही टोंक तीर्थंकर शीतलनाथजीकी-इसमें-तीर्थकर-शीतलनाथजीके चरन तख्तनशीनहै, और उसपरलिखाहैकि-संवत् (१८२५ ) वर्षे माघ शुक्ल (३) गुरौ विरानीगोत्रीयशाह खुशालचंद्रेण श्रीशीतलनाथजिनचरणपादुका कारापिता प्र तिष्टिताच तपागछे श्रीरस्तु--इसटोंकका चढावभी बहुत कठिन है.
वारहवीटोंक तीर्थकर अनंतनाथजीकी-इसमें-तीर्थकर अनंतनाथजीके चरण तख्तनशीनहै, और उसपर संवत् (१८२५) मेंशाह खुशालचंदजीने इसका तामीरकरवाये लिखा है.
तेरहमीटोंक तीर्थकर संभवनाथजीकी-इसमें-तीर्थकर संभवनाथजीके चरन तख्तनशीन है, और उसपरभी वही लेख है संवत् ( १८२५ ) में शाह खूशालचंदजीने इसकों तामीर करवाये. __चौदहमीटोंक-तीर्थकर वासुपूज्यस्वामीकी-इसमें तीर्थकर वासुपूज्यमहाराजके चरन तख्तनशीन है, और उसपर लिखाहै संवत् ( १९२४ ) फाल्गुनवदी पंचमी बुधवारकेरौज तीर्थकर वासुपूज्यस्वामीके पंचकल्याणिकोंका यहां चरणन्यास कियागया, और मुर्शिदावाद वास्तव्य-दुगडगोत्रीय प्रतापसिंह भार्या मेहतावकुंवर ज्येष्टसुत लक्ष्मीपतिसिंह कनीष्टभ्राता धनपतिसिंहजीने इसका जीर्णोद्धार कराया. ( यानी) मरम्मत करवाइ, तीर्थकर वासुपुज्य स्वामीके पांचकल्याणिक चंपापुरीमें हुवे, लेकिन ! यहांपर उनके चरन और छत्री इसलिये कायम किइगइ, कि-यात्रीलोग-यहांभी उनकी जियारत हासिल करे,
पनराहमीटोंक-तीर्थकर-अभिनंदनस्वामीकी-इसमें--तीर्थकरअभिनंदनस्वामीके चरन तख्तनशीन है, और उसपर लिखा है
३७
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com