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( ३०२ ) परिसह-तीर्थंकर-महावीरस्वामीके. कारचोबीका काम-और-हाथीदांतका काम यहां अछा बनताहै, महल नवावसाहबका बेशकीमती और खुशनुमा बनाहुवा निहायत संगीनहै, दरमियान अजिमगंज और मुर्शिदावादके गंगानदी बहती है और बजरीये नावके पार जानाआना होताहै जैनश्वेतांबर श्रावकोंके घर करीब ( १५० ) और-मंदिर-अजीमगंजमें (७) राम बागमें ( २ ) कुल्ल नवहुवे. बालुचरमे मंदिर (४) कीर्तिबागमें (१) महिमापुरमें ( १ ) कठगोलेम ( १ ) और-कासीम बाजारमेभी ( १ ) बना हुवाहै, उपाश्रय अजीमगंजमे ( ६ ) औरबालुचरमें ( ४ ) है, ठहरनेकेलिये अजीमगंजमे करीव टेशनके धर्मशाला बनीहुईहै, यात्री उसमे कयाम करे, और जैनमंदिरोंकी जियारतकरे,-रवानगीके वख्त अजीमगंज-टेशनसे-रैलमें सवार होकर बराला-सागरडीघी-वोखरा--लोहापुर-ताकीपुर-नलहटी-रामपुरहाट-मोलारपुर-सेंथिया-कोरी-मूरि-चीपाइ-डुवराज-पंचरा-पांडवेश्वर-उखारा-ओंडल-रानीगंज-और-काली पहाडी होते आसनसोलजंकशन आना. रैलकिराया एकरुपया-सातआने,-मुवे बंगालके-जिले वर्द्धमानमें आसनसोल एक गुलजार बस्ती है, बाजारमें हरेककिसमकी चीजे मिलसकेगी,-इंझीनका बडा कारखाना और अतराफ आसनसोलके कोयलेकी खानेभी मौजुद है,
E परिसह तीर्थंकर महावीरस्वामीके, संवत ( १७५० ) की सालमे जैनश्वेतांवरमुनि सौभाग्यविजय जीने-जो-तीर्थोकी सफर करके तीर्थमालानामकी पुस्तक बनाइ है उसमे यहलिखाहैकि हमने-तीर्थ भदीलपुरकी जियारत कि और पुनायागांव गये, जहांकि-तीर्थकर महावीरस्वामीके कदमोकी छत्री वनी इथी और उसमे उनके कदम तख्तनशीनथे, तीर्थकर महावीर
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