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तवारिख - शहर - कलकत्ता.
कमाल है उसको जवाल है, और जिसको जवाल है उसको कमालभी है,
रवन्नक कलकत्तेकी आजकल बढी हुइ है, बडेबडे बाजार - टेलीफोन - तार - पानीकानल - बडेबडे मकानात - और - तरहतरहकी चीजे यहां पर काबिल देखने के है, कलकत्ता के बडेबडे बाजार - हरीसनरोडशालदह-- वडाबाजार - चितपुररोड - धर्मतल्ला - कालिघाट - किलेका मेदान - हाफ साहबका बाजार - वांसतल्ला - अफीमचा रस्ता-मुर्गीहट्टाचीनाबाजार- कोलटोला - मछुआबाजार - अलसीवागान - वगेराव - गेरा है, - बगी - घोडे और ट्रामवगेराके सवबसें रास्ते में हमेशां वडा हुजुम बना रहता है, शहरकी सड़के लंबीचोडी और उनपर रातको लालटेन की रौशनीहुवा करती है, समुंदर के कनारे बडेबडे जहाज और-टीमरे - हमेशां तयाररहती है. सन (१८९१ ) की मर्दुलशुमारीके बख्त - कलकत्तेकी- मर्दुमशुमारी ( ८१०७८६ ) मनुष्यों की थी, मकान यहां के निहायत पुख्ता - और - पथरके बनेहुवे - जिनकी छत उपरसे खुली हुई. दुकान दुकानपर साइनबोर्ड और घरपर नंबरलगे हुवे है, कोइशख्श यहां वैंकार नही, हरेक आदमी अपने कारोवार में मशगूल है, मकानका किराया इतना तेज है कि - एक छोटी कोठरीभी सातरुपये महावारसे कम नही मिलसकती. बडीवडी कोठियां (२०० ) रुपये महावारी और बाजे (४००) रुपये महावारीतक मिलसकती है,
फोर्टविलियम - किलेका मैदान - गवर्नमेंट हाउस - बडेलाट साहकी कोठी - हाइकोर्ट - बंगालबैंक - पोष्ट ओफिस- टेलीग्राफ ओफिस - टंकशाल - कलकता युनिवरसीटी - जनाना अस्पताल - कस्टम हाउस इष्ट इंडियन रेलवे मकान - टेशनरी दफतर - बडे बडे आलिशान और कीमती मकानात है, यहां पर हरमुल्कका माल मिलसकता है,
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