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तवारिख-तीर्थ-समेतशिखर. (२७९ ) चंद्रप्रभजिनबिंब-कारितं ओशवंशे नवलखागोत्रे मेटामलपुत्रजशरूपेन-प्रतिष्टितं च-वृहद्भट्टारक खरतरगछत्री जिनाक्षयसूरिचरणचंधरीक-श्रीजिनचंद्रसूरिभिः___चौथामंदिर तीर्थंकरपार्श्वनाथजीका, तामीरकियाहुवा जहोरी भेरुदानजी साकीन कलकत्ताका-इसमेंमूर्ति पार्श्वनाथजीकी जायेनशीनहै, और उसपर लिखाहुवाहैकि-संवत् (१९१०)-शाके (१७७५) माघशुक्ल द्वितीयायां-श्रीपार्श्वबिंबं-प्रतिष्टितंवृहत्खरतरगछे,__पांचवामंदिर पार्श्वनाथजीका-तामीरकियाहुवा भंडारी-रुगनाथप्रसादजी साकीन कानपुरका-इसमें मूर्ति पार्श्वनाथजीकी सफेदरंग करीब एकहाथवडी जायेनशीनहै, और उसपरलिखाहुवाहेकि -संवत् (१८५४) माघकृष्नपंचम्यां चंद्रवासरे श्रीपार्श्वजिनबिंबंप्रतिष्टितं,
छठा मंदिर गोडीपार्श्वनाथजीका-तामीरकियाहुवा-खुशनसीव श्रावक-साकीन-मिर्जापुरका इसमें मूर्ति गोडीपार्श्वनाथजीकी सफेद रंग करीव (१) फूट बडी-संवत् (१९०० ) की प्रतिटितजायेनशीनहै, दाहनेपासे-शामरंगमूर्ति नेमनाथजीकी संवत् (१८९७) की प्रतिष्टित-और-बायीतर्फ शामरंगमूर्ति रिखभदेवभगवान्की उसीसंवत् (१८९७) कीप्रतिष्टित,-मौजूद है.
सातवा मंदिर चिंतामणिपार्श्वनाथजीका-तामीरकियाहुवाजहोरीधनसुखदासजी, साकनिमिर्जापुरका-इसमें मूर्ति चिंतामणि पार्श्वनाथजीकी करीब (२॥) हाथ बडी शामरंग जायेनशीन है, और उसपरलिखाहैकि-सागरांकवसुचंद्र वर्षे (१८९७)-ने
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