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तवारिख - तीर्थ - पटना,
वहेसकरने के मकानातथे, जिनमें हमेशां मजहबपर बहस हुवाकरतीथी, पदर्शनके जाननेवाले पंडित यहां पर मौजूद थे. बडेबडे मंत्रवादी और बहत्तरकला के जाननेवाले यहांहुवे, रसायनविद्याअविद्या - और इंद्रजालविद्याके बाकि कगार यहां होगये, हाथियोके सोदागिर-और-तलवारकी धारपर नाचकर अपना हुनर बतलानेवाले यहांरहतेथे, संस्कृत इल्पके जाननेवाले और संगीतकलाके माहितगार यहांपर मौजूदथे. कहांतक बयानकरे बडेबडे अजुवात यहांपर हो चुके है. पेस्तर इस्त्रीसनके जब मेगस्थनीज चीनामुसाफिर पटने में आयाथा अपने सफरनामेमें लिखा है-मेनेगंगा और सोननदी के संगमपर पटनाशहर देखा उसवख्त करीब (२४) मीलकेघेरे गुलजारशहरथा. और बडेबडेलंबे बाजारथे, हवांक्तसांगचीना मुसाफिर जब हिंद आया था उसनेभी इसकों देखाथा, उसवत ( ११ ) मीलकेमेरेमें पटनाशहर आबादथा, वादशाह अखवरने अपनी हकूमत यहां कि, औरंगजेबने अनिमकों पटनेका सुवेदार बनाया तवसे पटनेकानाम अजिमावादभी कहलाया, पटनेकी आवहवा उमदा और चावलकी पैदाश यहां ज्यादहहोती है. जहांपर गंगा और सोननदी मिली है पेस्तर वहां तक शहरपटना आवादया, अब वो - जगह ( १३ ) मीलके फासलेपर होगई है.
पटना इसख्त कलकतेसे (३२० ) मील वायुकोनकों झुकता हुवा विहारमे अवलदर्जेका शहर है. गंगाकनारे नवमीलतक लंबा बसताचलागया, पटनेकी मर्दुमशुमारी (१६५१९२) मनुष्योंकी - पुराना किला - जो - शहरको घेरे हुवेथा अवनही रहा, गलियां तंगमकानात इंटचुके पक्केबने हुवे जिनकी - छत - खुली, और कवेलछाये हुवे मकान बहुत कम देखोगे, बाजारमे - सोनाचांदी - जवाहि
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