________________
( २७६ ) तवारिख-तीर्थ-समेतशिखर. चौक-और-हवादार जगहहै, कोइ यात्री डेहरा तंबु लगाकर ठहरना चाहे-तोभी-जगह बहुत है, चारो तर्फ पका कोट-और-निहायत उमदा छत-जिसपर-गर्मीयोके दिनोंमें रातकों सोनेका आराम रहेगा, इसमे करीव एकहजार आदमी ब-खूबी-ठहर सकते है, इसमें कइ कोठरी अलायधा अलायधा खख्शोके नामसेभी बनी हुई है, उत्तर तर्फकी कोठरी शेठ-अमीचंदजी-धनसुखदासजी-साकीन मिर्जापुरने मधुवन धर्मशालामें यात्रीयोंके लिये संवत् (१९२०) मे तामीर करवाइ, इसीतरह दुसरी कोठरी शेठभेरुदासजीके बेटे नथमलजी जुहारमलजी गोलेछा साकीन जयपुरने मधुबन धर्मशालामें संवत् (१९३५) में तामीर करवाइ, औ. रभी सात कोठरी इसीलाइनमें बनीहुइ है, और उनपर शिलालेख लगे हुवे है, मगर उनपर चुना फेर दीया है जिससे हर्फ बाचे जाते नही, पूरवकी तर्फ एक कोठरीपर शिलालेख लगा हुवा उसमें लिखा है शेठ-हीरालालजी-मोतीलालजी-जवाहिरलालजी भणशाली साकीन कलकत्ताने मधुबन धर्मशालामे संवत् (१९३५) मे-यह-कोठरी-तामीर करवाइ, पश्चिम तर्फ एक-पौषधशालाबनी हुई है, इसमें शेठ-उदयचंदजी-लीलाभाइ-साकीन सुरतने कुल्ल खर्चा दिया है, __एक-धर्मशाला-श्वेतांवर कोठीकी पश्चिम तर्फ सडकके कनारे बनीहुइहै, जिसमे ( २०० ) रुपये-शेठ-परतापचंदजी-छोगमलजी ढाडीवाल-साकीन नागपुरने दियेहै, चौथी धर्मशाला-चतांवर कोठीके सामने बनीहुइ इसमे (१८) कोठरी-दालान-चोतराफर्स-और-सबकाम पुख्ता बनाहुवा है, इसकी तामीरातमें-शेठपरतापचंदजी-छोगमलजी-ढाडीवाल-साकीन नागपुरने (५००) रुपये दिये, शेठ-धर्मचंदजी उदयचंदजी-साकीन मुरतने (५००)
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com