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तवारिख - तीर्थ - पटना.
( २६१ ) मरम्मत होना जरुरी है, अगर कोई यात्री मरम्मत कराना चाहे करीब हजाररुपये लगेगे, शहरपटने में जैन श्वेतांवर श्रावकोके घर पेस्तर बहुतथे, मगर आजकल सिर्फ ! पांचचार रहगये, उपाश्रय चार मौजूद है मगर सब खाली पडे है, तीर्थंकरोंका - जो - फरमाना था कि- पांचमेकालमें धर्म कमहोजायगा -सो- नजरके सामने देखलो ! पटने का बाजार खन्नकदार - लोग खुशमिजाज - और - पुशाक उमदा है, मकान - यहां के इसकदर खूबसूरत और मजबूत है किजिनकी बनावट देखकर हर किसीकों ताज्जुब आता है, यात्री पटनेकी जियारत करके आगेकों रवाना होवे.
पटनासिटीसे रैलमें सवार होकर काघाट- फतवाह- खुशरोपुर- करौता - बख्तियारपुर - अथमलगोला - वाढ, वख्तियारपुर से (११) मील दूर बाढ एक - रेलवे टेशन है, पटना जिलेमें गंगा के दाहनेकनारे वाढ एक अच्छा कस्वाहै, सन (१८९१ ) की मर्दुमशुमारी वाढकी मर्दुमशुमारी (१२३६३) मनुष्योकीथी. वाढसेपांडराक - मोर- कल्पसूत्र में जो - मोराकसंनिवेश लिखा है जहांकितीर्थंकर महावीरस्वामी कदमरंजा फरमाचुके है यही है, मोरसेमुकामा जंकशन जाना, रैलकिराया सवासात आने लगते है, मोकामा जंकशन से सीतामढी टेशनकी टिकीट लेना और रैलमें सवारहोकर मोकामाघाट टेशन उतरना, और वहांसे ष्टीमर में बेठकर गंगापार जाना, टीमर तयार रहती है, टीमरका किराया अलग नहि लगता. वही टिकीट कामदेगा जो मोकामा से सीतामढीत लिया है, ष्टीमरमें माल चढाने उतारनेकेलिये कुली मौजूद रहते है. चार पैसे दियेकि- माल - चढादेयेगें, गंगापार जाते कुछ बहुत देर - न - लगेगी, गंगा के सामने कनारे पहुचतेही रैल तयार मिलती है, सेमरियाघाट टेशनसे रैलमे सवार होकर घरारा व
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