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तवारिख-तीर्थ-पटना.
[भाग दुसरा.] - [तवारिख-तीर्थ-पटना,]
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पंचतीर्थीकी जियारतके अगर कोई यात्री नवादेसे रैलमे सवार होवे और लखीसराय-मधुपुर होते गिरिडी टेशन उतरकर समेतशिखरजी जानाचाहे-तो-जासक्तेहै, नवादेसे वापिस गयाजकशन आकर गयासे हजारीबागरोड होकर इसरी टेशनसे समेतशिखर जानाचाहे-तोभी-जासकतेहै, गयासे बांकीपुरहोते पटना जानाचाहे तो जासकतेहै, मगर यात्री पंचतीर्थीकी जियारतकरके विहार टेशन आवे और रैलमे सवार होकर-सोह-पचासा-वेनाहरनाट-चेडो-बख्तियारपुर-करौता-खुशरोपुर--फतवाह,-औरबांकाघाट-होते-पटनासीटी जाय, रैलकिराया आठआने लगतेहै,__ जब राजगृहीके राजाश्रेणिकका इंतकालहुवा उसके बेटे कोणिकने अपने वालिदकी फिक्रसे राजगृही छोडकर चंपानगरीमें रहना इख्तियार किया, कौणिकके तीन नामथे, कौणिक-अशोकचंद्र-और-अजातशत्रु, जब कौणिककी उमर खतमहुइ उसके बेटे उदायिने अपने वालिदकी फिक्रसै चंपा छोडकर दुसरा शहर आबाद करनाचाहा, और अपने नोकरोंको बुलाकर हुकमदियाकि जाओ ! तुम जैसी जगह तलाशकरो जहां-में-दुसरा शहर आबाद करूं, और अपना अमलदरामद रहना बसना वहां कायम करूं, नोकर लोग चंपासे रवाना होकर जगह तलाश करने लगे, और और घूमते घूमते-जहां-शहर पटना आबाद है आये, और देखा तो गंगाकनारे एक-पाडल नामका द्रक्त-बडा गुलजार-और उसके मुराख में एक-पपैया-बेठापाया, गंगाका पानी जोरसे बह
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