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तारिख - तीर्थ - शत्रुंजय.
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यहांवेठकर ध्यानसमाधिकरते है, और इससबबसे इसकानामसिद्धशिला कहा गया, आगेइसके भाडवा का पहाडजहां कि - तीर्थकर अजीतनाथ - और - शांतिनाथजीने चौमासाकियाथा, दर्शनकरके अगाडीबढना और आगेइसके कुछनीचे उतरकरसिद्धवडको आना, - यहांपर एकवटवृक्ष खडा है, नीचेइसके कइमुनियोंनेध्यानसमाधि करकेमुक्ति पाइथी. इसीलियेइसकानाम सिद्धवडमसहरहुवा यहांपरदो- छत्रीये बनी हुइमौजूद है. बस ! सिद्धवडसेंशहरपालिताने पहुचनेका सिधारास्तावनाहुवा है चलेजाओ ! छकोशकी परकम्माखतमहुड़. -
अगरकोइ शत्रुंजयपहाडकी चारोंतर्फबारांकोशकी परकम्मादेनाचाहे - तो - यहपरकम्मा भी बनी हुइ है, चाहेकोइवेंलगाडीमे सवार होकर जाय - या पैदलजाय, यात्रीकोंइख्तियार है, शहरपालितानेसे रवानाहोकर अवल शत्रुंजयनदीकोंजाय वहां पर एकछोटासा मंदिर और उसमेंतीर्थकर रिषभदेव भगवानकेचरण जायेनशीन है, उनकेदर्शनक रके आगेबढे. चारकोशआगेएक-भंडारियागांव आयगा. औरभंडारिया गांव से आगेएक- कदंबगिरिपहाड - जिसपरकदंबगणधर अगले जमाने में मुक्तहुवे थे, उनकेचरनयहां पर बने हुवे है. औरनिहायत उमदा एकछत्री - उनके निशानपर तामीरहै, — उनकेदर्शन करके आगेवढेतो चौकगांवआयगा. वहां पर आराम करें. औरदुसरेरोजहस्त गिरिपहाडकी जियारत कोंजाय. इसपहाडपर हस्तीनाम के एकगणधरमोक्षहुवे थे उनकेचरन और छत्रीयहां परवनी हुई है, दर्शनकरकेनीचेआवे. और घेटीगांव-जो-दरमियानरास्तेके आता है होते हुवेशहरपालितानेकों वापिसलोटआवे. वारांकोशकी परकम्माखतमहुइ.
शत्रुंजय पहाडपर विमल शीटोंक में जो एकमंदिरपीछेंसेंबनाहुवा दिगंबरमजहब वालोंका है - पुराने औरमूलमंदिरोंके बादवना है,
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