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( १८६ ) बयान-शहर-अंबाला-और-लुधिहाना. पश्चिमोत्तर शतलज नदीसे (८) मील दखनकी तर्फ-जिलेका सदर मुकाम लुधिहाना एक उमदा शहरहै, सन ( १४४० ) इस्वी में लोदीखानदानके युसुफ और निहंगामके शाहजादोने इसकों
आवादकियाइसलिये लुधिहाना कहलाया,-सन ( १८९१ ) की मर्दुम शुमारीके वख्त लुधिहानेकी मर्दुम शुमारी (४६३३४) मनुप्योंकीथी,-जिला कचहरी-सराय-खेराती अस्पताल और स्कुल अछी लागतके मकान बनेहुवे है, कश्मीरी-काबली-और-पठाण लोग यहां ज्यादह रहते है. शाल-दुसाले-और पश्मिनेका काम यहां लाइकतारीफके बनताहै,-पघडी दुपट्टे और हरेक किसमफी सोदागीरी यहांपर होती है,-बाजार गुलजार खानपानकी चीजें पुरी-कचौरीमीठाइ वगेरा यहां उमदा बनती है,-जैनश्वेतांबर श्रावकोंकी आबादी-और मंदिर यहांपर वनाहुवाहै, यात्री दर्शन करके आगे जालंधरकों-जावे,-लुधिहानेसे रैलमें सवार होकर लाधोवाल-फिलोर-गोराया-फगवाडा-और-चिहेरू होते जालंधर टेशन उतरे, रैलकिराया छआने छपाइहै,-जिलेका सदर मुकाम जालंधर एक पुराना शहरहै, सिकंदरकांचढाइके पेस्तर जालंधर फटौचराजपुतोकी राजधानीथी, सातमी सीमें-चीनके मुसाफिर हवांक्तसांगने जब जालंधर शहरकों देखाथा अपनी तवारीखमें लीखाहै उसंवख्त दोमीलके घेरेमेथा सन (१७६६) के करीब सिख्खोंके कबजेनें आया, जमाने हालमें अमल्दारी अंग्रेज सरकारकी यहां पर जारी है, सन (१८९१ ) की मर्दुमशुमारी में जालंधरकी मर्दुमशुमारी ( ६६२०२ ) मनुष्योकीथी, सरकारी कचहरीयां-जनानास्कुल-और-सरायवगेरा पुख्ता मकान बनेहुवे है, जैनश्वेतांबर श्रावकोंकी आबादी और मंदिर यहां मौजूदहै, यात्री दर्शशनकरे, बाजार बडागुलजार पुरीकचौरी-उमदामिठाइ-और गर्मध जबचाहो
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