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( १९० ) वयान - शहर - लाहोर-और-गुजरानवाल.
( बयान - शहर- लाहोर - और - गुजरानवाल, - )
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मुल्कपंजाब में रावी नदी के बाये कनारे लाहोर एकबडा नामी शहर है, लाहोरकी मर्दुमशुमारी छावनीकों मिलाकर (१७६८५४ ) मनुष्योंकी - लाहोर शहर मुल्क पंजाब में पुराना है, चीना मुसाफिर वहां सांगने अपने सफरनामे में लिखा है मुल्कपंजाबमें लाहोर शहर वडागुलजारथा, सन ( ९७७ ) इस्वी में लाहोरके तख्तपर छत्रपति - राजा - जयपाल अमलदारी करताथा, बादशाह अखबरने लाहोरकों तरक्कीपर किया, और किलेकों बढाया. बादशाह जहांगीर लाहोर में बहुत मुदततक रहा, सिख्खोंके महाराज रणजित - सिंहने सन ( १७९९ ) इस्वी के अर्सेमें लाहोरपर अमलदारी किइ. जमाने हाल में अंग्रेज सरकारकी अमलदारी यहांपर जारी है, लाहोरकी चातर्फ (१५) फुटउची - इंटोकी दिवार और ( १३ ) दरवजे है, शहरपनाह के बहार चारोंतर्फ पकी सड़क बनी हुइ. - और टेशनके पास एक धर्मशाला मौजूद है, - पानीका नलहरजगह लगा हुवा - और सडकों पर रातके वख्त लालटेनोंकी रौशनी होती है, अनारकली चौक बडा बाजार है, हरेक चीज यहांपर मिलसकती है, - पुरी कचौरी - मिठाइ वगेरा खानपानकी चीजे यहां उमदा बनती है,
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चीफकोर्ट दो मंजिली इमारत बनी हुई है, चिडियाखानेमें तरहतरहके जानवर रखे हुवे है, यहांके गालिचे उमदा और - अमरिका इग्लांड तक भेजे जाते है, रावीनदीपर नावका पुल वधाहुवा - जिं सपर होकर शाहदरा जानेका रास्ता है, रेशम और सोनाचांदी के लेश - लाहोर में - उमदा बनते है, पोस्टओफिस- टेलीग्राफ आफिसअजायबघर - गवर्नमेंट कालेज-छोटी कचहरीयां-मेओ अस्पताल-किला - सिरुखमंदिर - शीशमहल वगेरा बडी लागतके मकानात है,
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