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( १९२) तवारिख-तीर्थ-वितभयपत्तन. स्यालकोट जिलाहै,शहर गुजरानवालका बाजार अछा-और-हरेक किसमकी चीजें यहांपर मिलसकती है, दिवानी-फोजदारी कचहरियां-सडक लंबीचौडी-और-मकान पकेवनेहुवे है, शालदुशाले और रेशमका काम यहां अछा होताहै, जैनश्वेतांबर श्रावकोंके घर करीब ( ७५ ) और--एक--जैनश्वेतांबर मंदिर यहांपर बनाहुवाहै, यात्री दर्शनकरे, आधेमीलके फासलेपर जैनश्वतांवराचार्य-न्यायांभोनिधि--महाराज आत्मारामजी-आनंदविजयसूरिजीके चरनोंकी छत्री बडी लागतसे बनीहुइहै,-यात्री वहां जाकर गुरूवंदनका फायदा हासिल करे, और फिर गुजरानवालके आगे वितभय पत्तननगर जिसका नाम आजकल भेरा कस्बा बोलते है जावे. टेशन गकर-वजीराबाद-कैथला-शहर गुजरात-लाला मुसाजंकशन-जौराह-डिंगा-चिलियानवाल-बहउद्दीन--आला--हरिवाह-मुल्कोवाल जंकशन-मियानी-हुजुरपुर-होते भरा टेशन उतरे गुजरानवालसे वजीराबाद तक रेलकिराया करीब तीनआने नवपाइ, वजीराबादसे लालामुसातक तीनआने नवपाइ, लालामुसासें मुल्कोंवालतक आठआने छपाइ, और मुल्कोंवालसें मेरेतक तीनआने तीनपाइ लगते है,
me [तवारिख-तीर्थ-चीतभयपतन,-]
आवश्यक मूत्रमें-इसकानाम वितभय पतन नगर लिखाहै, जमाने तीर्थकर महावीर स्वामीके-यहांपर-राजा उदयन-अमलदारीकरताथा, जोकि-वितभय *उदयनके नामसे मशहूरथा, उसवख्त शहर बडागुलजार और बेशुमार दौलतथी, बडेबडे जैन मंदिर और-इमारते पायदार संगीन वन हुइथी. राजा उदयन पेस्तर जैन
* कौशांबीका राजा उदयन वत्सउदयन कहलाताथा.
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