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बयान - शहर - जंबु - और - काश्मिर . ( १९५ )
खुश्किस्ते श्रीनगर जासकते है, इक्का-बगीजाती है, रैलनहीगइ,मुल्क काश्मिरमें श्रीनगर वडा शहर है, सन ( १८९१ ) कीमर्दुमशुमारी में श्रीनगरकी मर्दुमशुमारी (११८९६० ) मनुष्यों की थी राजमहल काबिल देखनेके बने हुवे है, गर्मीयोंके दिनोंमें काश्मिरके महाराज - जंबुसे यहां आनकर रहते है, महाराजगंज बाजार नामी और जिस चीजकी दरकारहो - यहां मिलसकती है, शालदुशाले यहां उमदासे उमदा बनते है और यहबात आममुल्कोमें मशहूर है कि दुशाले काश्मिरके मानींद किसी मुल्क में नहीवनते, रेशमी दस्तकारीभी यहां उमदा बनती है, -- स्कुल - अस्पताल - और - टंकशालघर अछे मकान बने हुवे है, - - और - राममुन्शीबाग काबिल देखनेकी जगह है, - काश्मिरके पहाड - नदी - झील -और बन बडेसोहावने और जाके दिनों में यहां ठंड बहुत पडती है, बल्कि ! पहाडोंपर बर्फ जमजाती है. बादाम-पिस्ते - सेव - अंगुर - नासपाती आलुचा - शाहदाना - सहतुत - और - अखरोट वगेरा मेवा यहां ज्यादह होता है, जेहलमनदी काश्मिरसें निकसीहुइ और दुसरी कइ छोटी नदी भी इसमे आकर मिली है, काश्मिरमें कइ - खानें लोहेकी और जंबुकी पहाडियोमें सुर्माभी पैदा होता है, कस्तुरियेमृग - वराहसिंगा - - और - बडा हिरणभी यहांकी पहाडियों में अकसर नजर आता है, पामपुरमें केशर पैदा होती है, काश्मिरके आदमी बडे मजबुत और खुबसुरत होते है, - काश्मिर में संस्कृत विद्याकी पेस्तर बडी तरक्कीथी बडेबडे आला दर्जेके पंडित यहां होचुके यात्री - जंबुसे रैलमे सवार होकर वापिस उसी रास्ते वजीराबाद जंकशन आवे, -रैलकिराया अवल लिख चुकेहै, -
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वजीराबादसे - गुजरानवाल -- लाहोर - अमृतसर - जालंधर - लुधि हाना - अंबाला - मेरट होते वापिस गाजियाबाद आना, रैलकिराया
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