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तवारिख - तीर्थ - कौशांबी.
गया, और तालीमदेना शुरु किया, बादचंदरौजके जब एकरौज वासवदत्ताने गाने में भूलकर उदयननेकहा ! अरि ! कांणी !! ऐसा बैताला क्यों गाती है ! वासवदत्ता ने कहा- यहां कांणी कौन है ? आपकैसे बोलते है ? उदयनने कहा - में नही जानता, तुमारे वालिदने कहा था कि- वासवदत्ता एकआंख से कांणी है, वासवदत्ताने खयाल किया - जैसे - मुजकों कांणीबतलायी - मगर - में - कांणीनही हूं, इसी तरह ये भी - कोठीन होगें, वासवदत्ता अपने वालिदकी धोखाबाजी से नाराजहुइ, और उदयनकेशाथ कौशांबी - जानेको तयारहुइ, उदयनने कहा - में - राजकुमारहूं इसतरह छीपीहालत में - न - ले - जाउगा, तुमा रे - वालिदकों इत्तिला करके लेजाउगा, एकरौज उदयनने राजा चंडमोसे कहा आपने मुजको धोखादेकर बुलवाया - मगर-मेंतुमकों - इत्तिलादेकर कौशांबीजाताहुं-- तुमारी मरजीहो -सो--तुम करलेना. ऐसाकहकर उदयन - और - वासवदत्ता उज्जेनसें - कौशांबी चले गये, और चंडप्रोत उसका कुछ-न करसका,
वारीश के दिनो में - कौशांबीकी जमीनसें अनमोलचीजे - जवाहिरात जडीहुइ अंगुठीये - - हीरे पनेके - - टूकडे - और पुरानी सोनामोहरे निकलती है, इसलिये लोग इसकों रत्नभूमि कहते है, कैसे कैसे खुशनसीब और - इकबाल मंदलोग यहां होगये, जिनकेघर बंशुमार दौलतथी, किला कौशांबीका पेस्तर बडामजबूतथा - जिसकी निशानी यह है कि - अवभी उसमेसे देढदेढ फुटलंबी- और - एकफूट चोडीइंटे लालमुर्ख - बतौर तांबेके निकलती है, आजकल वैसी इंटे बनना मुश्किलसमझो. -- तीर्थकौशांबीकी जियारत करके वापिस उसी रास्ते भरवारी टेशनआवे, -
भरवारी टेशन से रैलमें सवार होकर मनोहरगंज- मनवारीबंरावली - होतेदुवे इलाहाबाद टेशन उतरे, रैलकिराया तीन
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