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दरबयान-शहर-अमृतसर. (१८७ ) तयारमिलशकता है,-रेशमका काम यहा लाइक तारिफके बनताहै, जालंधरसे खुश्की रास्ते (१८) कोशके फासलेपर होशियारपुर एक अछा कस्बाहै,-जैनश्वेतांबर श्रावकोकी आबादी और मंदिर वहांभीमौजूदहै, फुरसत हो-तो-वहांभी जावे, और अगर फुरसत न-हो-तो जालंधरसे रैलमेंसवार होकर आगे अमृतसरके लिये रवाना होवे-सुरानसी—करतारपुर-हमीरा--बीझ-बुटारी जंडियाला-और-मननवाल टेशन होते अमृतसर टेशन उतरे, रैलकिराया नवआने तीनपाइ,
* [ दरबयान-शहर-अमृतसर, ] मुल्कपंजाबमें अमृतसर एकबडा-नामीग्रामी शहरहै, रेलवे टेशनसें करीब आधमीलके फासलेपर आबादी शुरूहोती है, सवारीकेलिये इक्का-बगी-टेशनपरतयार मिलेगी, सन ( १५७४ ) इस्वीमें सिख्खोके गुरू-रामदासजीने इसको आबादकिया, और अमृतसर नामका एक तालाव बनाया जिसकी वजहसें शहरका नाम अमृतसरं कहलाया,-सन १८०९) इस्वीमें महाराज-रणजितसिंहजीने गोबिंदगढ किला बनवाया,-सन (१८९१ ) कीमदुमशुमारीमें अमृतसरकी मर्दुमशुमारी-( १३६७६६ ) मनुष्योंकी थी,-शाल-दुशाले यहां आलादर्जेके तयार होते है, अंदाज चार हजार कश्मिरी कारीगीर यहां दुशाले बनानेका कामकरतेहै, और (८०० ) रूपये तकका दुशाला यहां तयारहोताहै,-सिख्ख-क्षत्रीय-ब्राहमन-शेठ-साहुकार-अफगान-कश्मिरी-नयपाली-बुखारा वाले-और बलुचीस्तान वगेराके लोग-यहां आबादहै, बाजारमें हरकिसमकी चीजे-पुरी-कचौरी-मिठाइ-जबचाहो तयारहै, टाउ नहोल-अस्पताल-और-स्कुल-वगेरा मकान अछे बनेहुवे है, उनी रेशमी कपड़े-और-कारचोबीका काम यहां लाइक तारीफके वन
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