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बयान- शहर-देहली.
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बनाया, बादशाह - शाहजहांने हमेशांके लिये इसमें अपनी सकुनत कायमकि. कइमहल - जनानखाना - दिवाने आम-और- दिवाने खास इसमें बने हुवे है, देहलीसे तीनकोशके फासलेपर बादशाह हुमायुका कबरा जो उसकी वेगमने अपनेखाविंदकी यादगीके लिये बनवायाथा सन (१५५४) में बनना शुरूहुवा और (१५७० ) इस्वीमं तयार हुवाथा. दिवार नगीने जडेहुवे थे और मुनहरी चित्रकारीका कामया, मगर अब मरम्मत खाली मकान पड़ा है, देहली के अतराफ दसदस कोस के फासले तक कइइमारतें - और - मुकबरे बने हुवे बतौर खंडहर के पडे है. एकदिनवो रवन्नकथी - जो देखनेवाले ताज्जुब करते थे, आज वो ख्वाबमेंभी नजर नहीं आती जमाने हाल में अंग्रेज सरकारकी अमल्दारी मौजूद है और सबलोग अमन चैन कररहे है,
सन ( १८७७ ) जनवरीमें यहां - - एक्ष - - इम्पिरियल -- अमेदरवार हवाथा - उसवख्त बडाजलसा हुवाथा. सन ( १९०३ ) जनवरी में - महाराज - सप्तम एडवर्डका दरबार यहां वडीशानसौकतसेवा, उसवत ( २० ) कोशके घेरे में वास्तेदरबारके देहलीका मैदानआरास्ता कियागया था. हिंदुस्थानकेसवराजा-नवाब-औरasaरहीश यहां जमाहुवेथे. और सवारीनिकलीथी. देहलीकेमकान उमदावने हुवे - सडकेलंबी-चोडी - हरजगह पानीकानल औररातको लालटेनों पर रौशनीहोती है, करवटेशन के पास एकधर्मशाला और- सरायवनी हुइ है - मुसाफिरलोग इसमेठहराकरते है, सवारीके लिये इक्का बगी तयार मिलते हैं, जमनानदीपर दो मंजिला पुलसन (१८६७) इस्त्री में बनाया गया, चांदनी चौक-जहोरीबाजारदरीबा - अछेगुलजार है, तरहतरहकी चीजें और माल असबाब यहां मिलता है. वर्क चांदीसोने के और काम सल्मेसितारोंका यहां इस
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