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तवारिख - तीर्थ - आबु,
( ११९ ) फके कौनेमें देवीजीकेपास है, जिसमेकि - शामरंगमूर्त्ति - करीब ( ३ ) हाथबडी - निहायत - खूबसुरतऔर पुरानीराजासंप्रतिकी तामीरकि हुइ तख्तनशीन है. और वहीनिशान उसपर है जोराजासंप्रतिकी बनाइहुइ मूर्त्तिओं पर होता है, मंदिरभी पेस्तरका है कारीगरी इसमें कम है पुराना यही है, इससेभी पुरानेजैनमंदिर यहां पर थे - मगर गर्दी सजमानेके-व-नहीरहे, - तीर्थों में यहकदीमी रवाजचला आयाकिएकमंदिर पुरानाहोकर गिरगया किसीखुशनशीबने दुसरातामीरकरवाया, इसीतरह दर्जे दर्जे बनतेजाते है औरतीर्थ हमेशांके लिये कायम रहता है, विमलशाहशेठने जब अपनानयामंदिरबनवायाइस पुराने मंदिरकी रदबदलनहीकि, पेहलेके मुताबीकही रखा,
अविमलशाह शेठके - और वस्तुपाल तेजपालके बनवायेहुवे मंदिरों का बयान सुनिये ! हिंदके तमामजैनमंदिरमें - ये - दो - मंदिर कारीगरीके काममें आलादर्जेके खूबसुरत है संवत् [ १०८८] में जब विमलशाहशेठने यहांपर मंदिर बनवाया - [१५००] कीरीगार और -[ २००० ] मजदूरमुकररथे, इसके - बनाने में तीनवर्षगे कुलका शंगमर्मरपथरका और पहाडपर हाथीयोसे माल असबाब चढायागया था, ख्याल करो ! कहांकहांसे पथरमंगवायेगयेथे और किसकदर महेनतकेशाथ पहाडपर चढायेथे, अंदाज दो करोडरूपये इसमें सर्फहुवेहोगे, मंदिर की लंबाई [१४०] फुट - और चोडाई (९०) फुट है - रंगमंडपमें खंभोमें- और मेहराबो में कैसे कैसे वेलबुटेबनाये है जिसकी कारीगरीतारीफके बहार है, हाथी-घोडे - और पुतलीयें किस कदरऊम
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