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( ८२ ) तवारिख - तीर्थ - गिरनार.
तीर्थकरनेमनाथजीके कइजैनधर्मावलंबीराजे यहांपरहुवे कहांतक कोई बयान लिखे, विविधतीर्थकल्प ग्रंथ में तहरीरहै कि - राजा - जयसिंहदेव ने खंगाररायको परास्त करके यहांपर अपना अमल दरामद किया और संवत् ( ११८५ ) में तीर्थकरनेमनाथजीका मंदिर फिरतामीर करवाया, जो अबतक मौजूद है, - संवत् ( १२२० ) में छत्रपतिराजा कुमारपाल के कोतवालदंडाधिपति ने गिरनारपहाडपर सीढियां बनवाई, जोकि - श्रीश्रीमालज्ञातिकाथा. सीढीकेदाहनेतर्फ लक्षारामनामकावागया, मगर वह अवगदीस जमानेकेवरावाद होगया. दिवानवस्तुपाल तेजपाल - जोकि - राजावीरधवलके वजीरथे. उनोनेकरीबगिरनारपहाshएक शहरतेजलपुरनामकायहां आवाद कियाथा. और उसमें अपने वालिदकेनाम से एक मंदिर तामीरकरवाकर तीर्थंकर पार्श्वनाथजीको मूर्तितख्तनशीन कि थी. और उसकानाम आसराजबीहार रखायावाल्दा कुमरदेवी के नाम से एक - कुमरसरोवरवनवायाथा, तेजलपुर और जुनागढ — दोनो बहुत करीबथे इसलियेदोनो एकनामसे जुनागढ मशहूर होगये, -
[ पहाड - गिरनार, ]
शहर जुनागढसे पूरवकोंगिरनारपहाड जैनोका एकवडा मशहूर तीर्थ है. शहर पहाडकी दामनतककरीव ( २ ) कोशका रास्ता होगा, इक्का - बगी - बैलगाडी - म्याना - पालखी - डोली - वगेरासवा - रो आसानीसें जासकती है, जिसकीखुशीहो सवारीमेंजाय - या - पांचपैदल जाय. बडेबडेदृरूत - और - तरहतरहके जंगली मेंवाजात कसरतसें खडे है. बंदरों के झुंडहरूतोंपर कलोलेकर तेरहत है, रास्ते में दाहनीतर्फ - - राजानियत - अशोकका - शिलालेख - एकतर्फदामोदरकुंड- तुवर्णरेखा नदी - पहाडकीतराइमें उमदातालाव - हख्तोंकेझुंड और जगह सुहावना है, खास ! पहाडकीदामनमें- तलहटी - और - दो
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