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तवारिख - तीर्थ - शत्रुंजय.
कुछभीख नही किया. दौलतमंदहोतो ऐसेहो ! और धर्म केपायबंदहोतोऐसेहो ! हरखासोआमकोलाजिम है मोतीशाहशेठकीमिशालकोंयादमेंरखे. औरअपनेसें बनपडेउतना खर्चकरे, दुनियाचंदरौजकेलिये एकमुसाफिरखाना है, जोकुछ धर्म करोगे वही शाथी होगा, -
[तीसरी टोंक-बालाभाईशेठकी, ]
संवत् (१८९३ ) मे - यहटोंक - शेटवालाभाइने तामीरकरवाई, और बहुतसीदौलत खर्च कि. इसकानामवालावशीमशहुर है, इसमें तीर्थकर रिषभदेव भगवान्का बहुतवडा आलिशानमंदिर और निहायतखूबसुरतमूर्त्ति तख्तनशीन है, रंगमंडपइसकाकाबिलेदीद-आसपासकइछोटेबडेमंदिरबने हुवे - और - खर्चाइसका शत्रुंजयतीर्थ के खजानेसें चलता है, -
[ चोथी टोंक -प्रेमचंद मोदीकी, ]
बालावशीटोंक के आगे औरचाथीटोंककेबीच कुछउंचाइपरएक बडाआलिशानमंदिर अदभुदजीका - जो संवत् ( १६८६ ) में तामीरकियाहुवा निहायत पुख्ता और वडीलागतका है, मूर्त्तिसमंतीर्थ कररिषभदेव भगवान्की सातहाथउंचीवडी आलिशानतख्तनशीन है, असल मेंयहमूर्त्ति पहाडसंजुदीनही पहाडही में उकेरी हुइ - और - इसपर बहुत कम तिचीजोंकाले पहुवा है, चोथीटोंक प्रेमचंद्रमोदीकी बनाइहुइ और उंची जमीनपरतामीरहे तीर्थकर रिषभदेव भगवान्का वडाआलिशानमंदिर और उसमें निहायत खुबसुरत मूर्त्तितख्तनशीन है, सामने इसकेमंदिर पुंडरीकस्वामीका -- मंदिर सहस्रफणापार्श्वनाथजीका-मं दिर चौमुखाजीका तिमजिला - गोरानी-जेठानी के बनाये हुवे - दोआले -कइछोटेबडेमंदिर ओरमूर्त्तितामीर है. -
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