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हिदायत-उल-आम.
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नही. जियारत में धर्मकामकेलिये चलेहो किसीशहरमें जाकर इश्कबाजी में पडना, कितनेक ऐसे भी है कि - तीर्थयात्रामें जाकर ऐंशकरते है, और इबादतकों बरवादकरते है, तीर्थमेंजाकरभी इश्कशैतानीकों-न-छोडा तोक्याछोडा :- कितनेक ऐसेभी है- जो-तोथीम - औरदेव मंदिरोंमें दर्शन करतेहुवेभी औरतकेशाथ मोहब्बत की बातकरते रहते हैं, धर्मशाantaraje paaniसे तीर्थो में परहेजकरो, तीर्थयात्रामेंधर्मकों धर्मशास्त्र इनवातों खलल पहुचानेवाला कामकरनागोया! अपनी तकदीरकों हारजाना है, पहाडपर जियारतकेलिये पैदलजाना हद्दुल- मकदूर - बहुत बेह तरहै, अगर चलने की ताकात - न - होतो- डोली मेंवेटकर जानाभीकोइहर्जनही. मगरडोलिकेलिये इंतजाम पेस्तरसेंकर लेना चाहिये, याते चलनेकेवख्त देरी न हो, केशर - चंदन- धूप - फल - फुल - बादाम-सोपारी - चावल - मेवा-मिठाइ - - इतर - बर्क - सोनेचांदीक- औरकुछ रुपयेपैसे सबसामान पूजाकातयाररखो, यात्रा केरौज बहुत शुभहजल्दी सेउठो, और उमदाकपडे पहनकर दर्शनोंकोंजाओ. मेलेकपडे पहेनकर जाना देवकी बेअदबी करना है, नौकर-चाकरकों और अपने दोस्तकोंभी अगरबनपडेतो पूजन की सामग्री अपने पैसोसें खरीदकर केदो, पहाडपरजा वख्त रुपया - महोर- नोट वगेराजोकुछ जोखमकीचीज हो- अपनीकमरकों बांधकर शाथलेतेजाओ. ताकि - दिलको तसल्ली रहे, औरदेवदर्शन में फिक्रपेदा-न- हो. - कितने कए से भी शख्श है- जोकदीम सें बखील - बहेमी - और ख्वाव में भी रुपये पैसे याद करते रहते है. फिरइवादतमें कैसेमशगूल रहेगें पासरहनेसें बेफिक्री - औरतीर्थयात्रा बखूबीअदा होगी. इसीलिये हिदायत दिडगइ है कि - होशियाररहो, अगर किसी केवदनमें कम ताकात होने के सबब - मलमूत्रकीहाजत बनीरहती हो तो - दो चावलभर अफीम खाकर पहाडकोंचलो, रास्तेमेंमजे से चलसकोगे. मगर ऐसा मत करना कि - ज्याइहअफीम खाकर नशेमेंगा फिलवनजाओ, हां ! जो खुदअफीमची है उसकेलिये ज्याहखानाभी कोडहर्जनही,
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