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सवाने-उमरी.
(७१) पुर होते अयोध्यागये, अयोध्यासे रवाना होकर बनारस मुगलसराय-होते गया टेशनपर उतरे, और वहांसे खुश्की रास्ते (१८) कोसके फासलेपर तीर्थ भदीलपुरकी जियारतको गये, वहांपरपहाडकी दामनमे-एक-बहुत छोटा-हटवरीया-नामकागांवहै, पेस्तर यहां भदीलपुर शहर आवादथा, तीर्थकर शीतल नाथकी जन्मभूमि यही भदीलपुरहै, आज विल्कुल विरान होगया, यहापर एकपहाड
और-उसपर एक-जैनश्वेतांबर मंदिर बनाइवा-बगेरमूर्त्तिके खाली पडाहै, वहांकी जियारत किइ, भदीलपुरमे उसी रास्ते वापिस गया टेशनकों आये, एकरोज गयाटेशनसें ( ६ ) मील दखनकों बोध गयागांव देखनेकों गये, जहांपर वोध देवका मंदिरहै उसकों देखा, यहांपर नयपाल-वर्मा-शिलोन-जापान-और-चीनके बौध यात्री वास्ते जियारतकों आते जातेहै-बौध मजहबके एकसाधु-यहांपर मिले, और उनसे जैन-और बौध मजहबके बारेमें वातहुइ बोधगयासे वापिस गया टेशन आये और रैलमें सवार होकर पटना होते मुकामा जंकशन उतरे, गंगा नदी पार होकर सेमरया घाट टेशनसे रैलमें सवार होकर शहर दरभंगा होते-सीतामढी टेशन गये, पेस्तर यह नगरी मिथिलाकेनामसे मशहूरथी. तीर्थकर मल्लिनाथ-और-नमिनाथकी जन्मभूमी यही नगरी है, क्षेत्रस्पर्शना किइ, और यहांकी तवारिख अपनी नोटबुकमें दर्जकिइ, सीतामढी टेशनसें वापिस उसीरास्ते मुकामा-जंकशन आये, और रैलमे सवारहोकर-आसनसोल-चक्रधरपुर-विलासपुर-रायपुर-और-नागपुरटेशन होते आकोला देशनपर उतरे, और वहांसे तीर्थ अंतरिक्षजीकी जियारतकों गये, जोकि-(२०) कोशके फासलेपर वाके है, जियारत किइ, और वहांकी तवारिख अपनी नोटबुकमें दर्जकिइ, अंतरिक्षजीसे रवाना
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