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सवाने - उमरी.
सुरजमल्लकी विनयभक्ति-मुनिवर वारंवार, हाथ जोडकर मानजो-करजो आप उपकार, ( शेयर, - )
विहार करनेकी मुनिजी - आपकी सुनके खबर. बहोत दिल मसमसाता - और होता है फिकर, कब सुनेगे ज्ञानचर्चा- आपके मुखसें जिकर, श्रावकों की विनति है - चरन में मस्तकको घर. प्रयाण किजो उदयपुरमें- दयाकी करके नजर, वो दिन उदय कब आयगा दर्शन दियोगे आनकर, ३
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उदयपुर से चितोडगढ - अजमेर - फुलेरा होते मेरटारोड टेशन उतरे, तीर्थ - फलोदी - पार्श्वनाथकी जियारत कि, और वहांकी तवारिख अपनी नोटबुक में दर्ज कि, मेरटारोडसे रैलमें सवार होकर फुलेरा आये, और रेवाडी लाइनमें देहलीटेशन होते मेरटटेशन गये, वहां से खुश्की रास्ते (१८) कोशके फासलेपर जो तीर्थ हस्तिनापुरहैजियारतको गये, तीर्थकर शांतिनाथ - कुंथुनाथ - और - अरनाथ महाराजकी जन्मभूमि यही शहर है, जियारत किड़ और वहांकी तवारिख अपनी नोटबुक में दर्ज किइ, हस्तिनापुर से वापिस मेरट आये और गाजियाबाद होते सिकंदराबाद गये. आठरौज वहांपर कयाम किया, व्याख्यान धर्मशास्त्रका हमेशां देतेथे, सिकंदरबादसे रेलमें सवार होकर अलीगढ - आगरा - गवालीयर लशकर - जहांसी भोपाल - खंडवा होते - बुरानपुर आये, यहां पर करीब एकमहिनेके कयाम किया. किताव जैन संस्कारविधि छपकर यहां आगर, और जिन जिन महाशयोने मंगवाइथी भेजीगर, इसमें जन्मसंस्कार से लेकर सोलह संस्कारोंका वयान दर्ज है, इनदिनोंमें जबलपुरके
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