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प्राकृत
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मगध की भाषा मागधी, अवन्ती की (उज्जयिनी के आस-पास की सीमा) प्रचलित भाषा का नाम अवन्तिजा भाषा, प्राच्या का तात्पर्य पूर्व प्रदेश से था उसमें प्रचलित भाषा का नाम प्राच्या, शूरसेन की शौरसेनी, मागधी का आधा लेकर जो भाषा बनी वह अर्धमागधी, बाहलीका आजकल प्रचलित वल्ख प्रदेश का नाम बाहलीका भाषा इसी के बगल में पैशची भाषा थी और दक्षिण प्रदेश की भाषा
का नाम दाक्षिणात्या भाषा थी। 18. विल्सन फाइलोलोजिकल लेक्चर्स पृ० 72-73 | 19. प्राकृत भाषाओं का व्याकरण पृ० 13, प्रकाशन-राष्ट्र-भाषा
परिषद-पटना। 'Journal of the Department of Letters Culcutta University Vol. xxiii, p. 1-24, 1933 A. D. ‘Thus we may conclude that Prākrit, though it may be called Maharastra for the sake Dandi, was not the dialect which has its origin in Maharastra and the geographical area with which it has any possible Vital Courexion is the Indian Midland and it is the language of Soursena region. Maharastri a later phase of Sauraseni. J.O.L.C. xxiii-1-24. सेतुबन्ध-दा, दाव ऊदू आदि रूप महाराष्ट्री के न होकर शौरसेनी के ही हैं। 1-24, डा० ए० एन० उपाध्याय-एनल्स ऑफ भण्डारकर इन्स्टीच्यूट, 1939-40 में पैशाची लैंग्वेज लिटरेचर नामक लेख
डा० मनमोहन घोष-कर्पूरमंजरी की भूमिका, पृ० 721 22. भारतीय आर्य भाषा और हिन्दी, पृ० 191, प्रकाशन-राजकमल,
दिल्ली। 23. प्रो० जेकोबी ने महाराष्ट्री का समय कालिदास के समकालीन (ई०
सन का तीसरी शताब्दी) और डा० कीथ ने चौथी शताब्दी के बाद का स्वीकार किया है।