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क्रियापद .
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मात्र अवशिष्टं रहा। यह प्रायः सामान्य वर्तमान काल में ही प्रयुक्त होता है। आचार्य हेमचन्द्र ने आज्ञार्थ लोट् लकार म० पु० ए० व० हि के स्थान पर इ, उ, एवं ए का विधान किया है। अन्य प्रत्यय विधानों के बारे में मौन हैं। निष्कर्ष यह कि शेष प्रत्यय अपभ्रंश वर्तमान काल की भाँति होते हैं :
एकवचन
बहुवचन
पुरुष उत्तम०
हुँ
मध्यम०
(हि) इ, उ, ए
अन्य०
एकवचन
बहुवचन उत्तम० 1. करउँ, करमु, करिमो करहुँ, करमु, करिमो मध्यम० 2. करहि, करिहि, करि, , करहु, करहो, करह
कर, करु, करह, करे अन्य० 3. करु,
करन्तु, करहुं व्यंजनान्त के आगे संयोजक अ लगाकर प्रत्यय लगाया जाता है।
प्रत्यय
. मध्यम पु० ए० व०
इ
-
रूप अच्छि, चरि, जंपि, खेइ, फुट्टि, मेल्लि, रुणझुणि, रोइ, संचि, सुमरि। करे करु, गज्जु, देक्खु, पेक्खु, विलंबु पेच्छ, भण
अ
-
ल