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संदर्भ
1. प्रा० व्या० हेम० - 8/3/156 क्ते'
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14.
हेमचन्द्र के अपभ्रंश सूत्रों की पृष्ठभूमि
15.
प्रा० व्या० हेम० - लुगावी क्त भाव कर्मसु - 8/3/1521
संदेश रासक की भूमिका, पृ० 45, डॉ० भयाणी ।
कम्परेटिव ग्रामर आफ मिडिल इन्डो आर्यन - डॉ० एस० के०
सेन–$166, पृ० 174
सन्देश रासक - प्रो० भयाणी 867 पृ० 371
प्राकृत भाषाओं का व्याकरण - पृ० 833 प्रकाशन - राष्ट्र भाषा परिषद्
पटना ।
उक्तिव्यक्तिप्रकरण-880 भूमिका पृ० 63।
भविसत्त कहा की भूमिका-पृ० 63
Here
तक्ष;
For झलक्किय the root - झलक्क is used in the sense of तापय । अब्भडवंचिउ is an of obsolutive from गम् with अव्भड i.e. सम or अनु which is a देशी form.
is regarded as having the meaning of the root
खुडुक्कइ and घुडुक्कइ are देशी forms which approximately rendered into Sanskrit by शल्यायते and गर्जति ।
Here वप्पीकी and चम्पिज्जइ are of देशी origin; compare बाप and चापणें, चोपणें in marathi.
धुढ्ढअइ or धुद्धअइ is ध्वनिं करोति ।
धातु पाठ-वैदिक यन्त्रालय अजमेर । कुथ-पूती भावे/ दुर्गन्ध-दिवादि गण का विकसित रूप है ।