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हेमचन्द्र के अपभ्रंश सूत्रों की पृष्ठभूमि
इनमें 'अ' को विकरण समझना चाहिए। 2. उकारान्त धातुओं को 'अव' होता है। रु = रुवइ = रोता है। सु = सुवइ = सोता है। 3. ऋवर्णान्त धातुओं के आन्तिम ऋ को 'अर' देते हैं। कृ = कर = करइ = करता है। मृ = मर = मरइ = मरता है। हृ = हर = हरइ = हरता है। उपान्त्य ऋ को अरि होता है। कृष = करिसइ मृष = मरिसइ 4. ईकारान्त धातुओं को ए होता है। नी = नेई = ले जाता हैं। उड्डी = उड्डेइ = उड्डीयते = उड़ता है। 5. उपान्त्य स्वर को दीर्घ होता है। रुष = रूसइ = रूष्ट होता है। तुष = तूसइ = तुष्ट होता है। पुष = पूसइ = पुष्ट होता है। 6. एक स्वर के स्थान में दूसरा स्वर आ जाता है। चिन = चिनइ = चुनइ = चुनता है। रु = रुवइ = रोवइ = रोता है। 7. धातु के अन्तिम व्यंजन को द्वित्व होता है। फुटइ = फुट्टइ = फूटता है। तुट् = तुट्टइ = तोड़ता है।